________________
भीलडीयाजी (गुजरात) तीर्थे सामूहिक जाप, वि.सं. २०४४, फाल्गुन
९-११-१९९९, शनिवार नूतन वर्ष, वि. संवत् २०५६, का. सु. १
✿
संयम-जीवन सुरक्षित रहे, मोक्ष का उद्देश्य सफल हो, जिसके लिए शास्त्रकारो नें उपाय बताये हैं ।
✿
संयम - जीवन का श्रेष्ठ पालन करने से यहीं मोक्ष के सुख की अनुभूति होती है ।
✿ चार गतियों में सर्वोच्च मनुष्यगति है । तीर्थंकर भी अन्त में मनुष्य बनकर ही मोक्ष में जाते हैं ।
आज तक तीर्थंकर बनकर मोक्ष गये हुए (जिन सिद्ध) कितने हैं ? तीर्थंकर हुए बिना मोक्ष गये हुए (अजिन सिद्ध) कितने हैं ? दोनों अनन्त है, परन्तु दोनों में फरक हैं । तीर्थंकर अनन्त से असंख्यात गुने अनन्ता अन्य मोक्ष में गये हैं ।
भरतक्षेत्र की अपेक्षा से एक अवसर्पिणी में चौबीस ही तीर्थंकर मोक्ष में गये हैं परन्तु उनके शासन में असंख्यात मोक्ष में गये । महाविदेह क्षेत्र में इतने काल में असंख्याता तीर्थंकर मोक्ष में गये हैं । इनसे दूसरे असंख्याता समझ लें ।
✿ साधु-जीवन के व्रत संसार के क्षय के लिए हैं । कर्म का मूल अविरति है । ' एगविहे असंजमे ।' ( कहे कलापूर्णसूरि- १ ***
*** ५२९