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के लिए निर्णय ही मुझे करना है ।
वांकी' नगर में यह प्रसंग मनाया जायेगा । दोनों समाजों के नाम यथावत् रहेंगे । (समस्त संघों ने समर्थन किया, उसके बाद वांकी से मनफरा संघ की विनती हुई)
वांकी का निर्णय हमने इसलिए लिया कि सबको अपना लगे । कच्छ की प्रजा के साथ संबंध बना रहे, अत: यह निर्णय लिया गया है। 'मनफरा' भी पूज्य जीतविजयजी दादा गुरु की जन्मभूमि है । प्राचीन प्रतिमा है, अतः आपकी विनती का हम आदर करते हैं।
चातुर्मास (वर्षावास) का निर्णय मार्गशीर्ष शुक्ला ५ को होगा ।
बंनेय पुस्तको मळ्या छे. दाद मांगी ले तेवी महेनत करी छे. आवरण तथा अंतरंग - उभय दृष्टिए ऊडीने आंखे वळगे ने अंतरमा वसे ते, प्रकाशन थयुं छे. तमारो श्रम धन्यवादने पात्र छे..
- विजय महाबलसूरि - पुण्यपालसूरि - मुनि भव्यभूषणविजय
पुना.
कहे कलापूर्णसूरि - १ ******
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