________________
ये (नवपद की) पूजा की ढालें गाता हूं । आज भी उतना ही आनन्द आता है। दिन-प्रतिदिन नये नये अर्थ निकलते प्रतीत होते हैं । यह पदार्थ मुझे भावित बनाना है । जो है वह इसमें है । इसमें जो है वह कहीं नहीं है।
ये ढालें पक्की करने जैसी है, याद रखने योग्य हैं ।
हमारे आचार्य, उपाध्याय आदि कैसे होते हैं ? उनका स्वरूप तो जाने । यदि स्वरूप जानेंगे तो वैसा बनने की इच्छा होगी, उनके गुण प्राप्त करने की इच्छा होगी ।
ज्ञान-दर्शन आदि का स्वरूप जानेंगे तो उसे अपनाने की इच्छा होगी।
काळनो बोम्ब पडशे त्यारे शं? भूतकाळमां बहारना हुमलाथी बचवा राजाओ किल्लाओ चणता हता. हवे बोम्ब पडवा मांड्य एटले लोकोए भोयरा (बंकर) बनाव्या. पण आ काळनो बोम्ब पडे त्यारे कोनुं शरण लेशो ? भौतिक विज्ञान पासे एनो जवाब नथी. बोम्ब पडेलो होय ते धरती घणा श्रमथी कोई पल्लवित करे. ईजा पामेला मानवोने सारवार आपे. पण मृत्यु पासे ते शुं करी शके ?
धर्म ज मानवने स्वाधीनता अने सुख आपशे.
४२२
******************************
**** कहे कलापूर्णसूरि - १]
कहे