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यात्रा की थी ।
उन्होंने ५०० प्रतिमाओं की अंजनशलाका की थी । अन्तिम तैंतीस वर्षों से अखण्ड वर्षी तप चलते थे । कालधर्म के दिन आ. व. १४ (गुजराती भा. व. १४) को भी उपवास था । (दक्षेशभाई संगीतकारने सिद्धिसूरिजी का गीत गाया)
(मांडवी में आज बीस हजार भेड़ तथा दस मुर्गियां किसी कार्यक्रम में भोजन के लिए बलि होनेवाली थी। सख्त विरोध होने पर वह कार्यक्रम बंध रहा है । अतः हम सब आनन्द का अनुभव कर रहे हैं । गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई की मध्यस्थता से यह कार्य हुआ है ।)
निश्चय अने व्यवहार
भगवाने निश्चय अने व्यवहार बे धर्मो उपदेश्या छे. तत्त्वदृष्टि / स्वरुपदृष्टि ते निश्चय धर्म छे अने ते दृष्टि प्रमाणे भूमिकाने योग्य प्रवृत्ति, आचारादि व्यवहार धर्म छे बने धर्म रथना बे पैडा जेवा छे. रथ चाले त्यारे बे पैडा साथे चाले छे.
कहे कलापूर्णसूरि १ ****
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