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- वर्ण माता : ज्ञान की जननी नवकार माता : पुन्य की जननी अष्टप्रवचन माता : धर्म की जननी त्रिपदी माता : ध्यान की जननी है । चारों माताएं मिलकर हमें परमात्मा की गोद में रख देती हैं। माता ने तैयार करके आपको पिता को सौंपा । पिता ने शिक्षक को सौंपा, उसके बाद गुरु को सौंपा ।
गुरु ने भगवान को सौंपा और भगवान ने समस्त जीवों को सौंपा ।
इस प्रकार आप अखिल ब्रह्माण्ड के साथ जुड़ गये, उसके मूल में माता है ।
'कहे कलापूर्णसूरि', 'कडं कलापूर्णसूरिए' आ बने अमूल्य ग्रंथरनो मळ्या. खरेखर ! ए ग्रंथरनो मात्र संग्रह करवा जेवा ज नथी, पण ए ग्रंथो साथे सत्संग करवा जेवो छे.. एवा ए अमूल्य ग्रंथो छे.
आपश्रीए पूज्य आचार्य भगवंतश्रीजीनी वाचनाने झीली, जे शब्दस्थ करी छे ते रियली अनुमोदनीय छे.
- हितवर्धनसागर ७२ जिनालय, कच्छ
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कहे