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वढवाण (गुजरात) में पूज्यश्री का प्रवेश, वि.सं. २०४७..
१-१०-१९९९, शुक्रवार
आ. व. ७ (मध्यान्ह)
- नवकार क्या देता है ? नवकार के पांच पद हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं । पांच में से जो पद चाहिये वह बोलो ।
सभा : अरिहंत, आचार्य ।
पूज्यश्री : देखा ? जीव का अहंकार कितना प्रबल है ? वह सीधा ही अरिहंत या आचार्य बनना चाहता है; परन्तु साधु बने बिना न तो आचार्य बन सकते हैं, न उपाध्याय, न अरिहंत ! सैनिक बने बिना सेनापति कैसे बना जा सकता है ? बहू बने बिना सास कैसे बना जा सकता है ? श्रोता बने बिना वक्ता कैसे बन सकते है ? भक्त बने बिना भगवान कैसे बना जाये ?
- जगत अपूर्ण दिखता है, जीव अपूर्ण दिखते है जो सूचित करते है कि अभी तक हम अपूर्ण है । जिस समय हमें स्व में पूर्णता दिखाई देगी, उसी समय हमें जगत के समस्त जीवों में भी पूर्णता दिखाई देगी । पूर्ण को सब पूर्ण दिखाई देता है और अपूर्ण को अपूर्ण दिखाई देता है। ___हमें जगत कैसा दिखता है ? वह जगत कैसा है ? यह नहीं, परन्तु हम कैसे हैं यह सूचित करता है । यदि जगत दुष्ट (कहे कलापूर्णसूरि - १ *****
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