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नाम एवं मूर्ति भगवान ही है । जिनालय में कौन सी मूर्ति है ? यह हम नहीं पूछते, कौन से भगवान हैं, यह पूछते हैं । हां, जयपुर के मूर्ति-महोल्ले में मूर्ति का पूछ सकते हैं, परन्तु मन्दिर में प्रतिष्ठित मूर्ति में तो साक्षात् प्रभु के ही दर्शन हम करते हैं ।
काउस्सग्ग नवकार का करें या लोगस्स का, दोनों में प्रभु के नाम ही है । एक में सामान्य नाम है, दूसरे में विशेष नाम
. १. शब्द से वैखरी वाणी २. विकल्प से मध्यमा वाणी ३. ज्ञान से पश्यन्ती वाणी ४. संकल्प से परा वाणी प्रकट होती है । जो उत्तरोत्तर कारणरूप है ।
'कहे कलापूर्णसूरिं' पुस्तक मळ्यु. पूज्यश्रीना कोहिनुर हीरा . जेवी रन-कणिकाओने शब्दोना दोरमां बांधी, एक नवलखा हार जेवी अद्भुत रचना आपी खूब खूब उपकार चतुर्विध-संघ पर कयों छे. जीभ बोले, हृदय बोले एवा शब्दो घणी वार मल्या छे, परंतु अनुभव बोलतो होय एवा ताकातवर शब्दो तो क्यारेक ज मळे छे. एवा शब्दो पहोंचाड्यानी कृतज्ञता हृदयपूर्वक व्यक्त करूं छु
'कडं कलापूर्णसूरिए' पुस्तक हमणां भूपतभाईए आप्यु छे.
आवी श्रेणि बहार पड़े अने शब्द-शब्द सचवाय एवी शुभाभिलाषा.
- संयमबोधिविजय
घाटकोपर, मुंबइ.
कहे कलापूर्णसूरि - १ *****
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