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'नाम ग्रहंता आवी मिले, मन भीतर भगवान ।'
भगवान अपने हृदय में आ गये, इसका अर्थ यह है कि हमारा उपयोग प्रभुमय हो गया, उपयोग में प्रभु आ गये, उपयोगपूर्वक आप जब प्रभु-नाम लेते हैं तब प्रभुमय ही बनते हैं ।
. वाणी चार प्रकार की है - वैखरी मुंह में, मध्यमा कंठ में, पश्यन्ती हृदय में, परा ज्ञान में । जिस वाणी से आप पुकारो, उस रूप में प्रभु आ मिलेंगे ।
- दर्पण के समक्ष खड़े रहे, आपका प्रतिबिम्ब पड़ेगा ही । हमारा उपयोग निर्मल दर्पण जैसा हो, तब प्रभु का हमारे भीतर प्रतिबिम्ब पड़ेगा ही ।
उपयोग में रहे भगवान को पहचान सकें ऐसी हम में क्षमता नहीं है, इसी कारण प्रभु दूर लगते हैं ।
आप कृपालु द्वारा मने याद करीने मोकलावेल परम पूज्य भगवान कलापूर्णसूरिजीना भावोने रजू करतुं पुस्तक 'कडं कलापूर्णसूरिए' मळ्यु. खूब खूब आभार..
पुस्तक मळ्युं, खूब ज आनंद थयो. परमात्म-स्वरूप पूज्यश्रीना पुस्तक माटे अल्पज्ञ एवो हुं कोई पण अभिप्राय आपुं ए भगवान कलापूर्णसूरिजीनुं अवमूल्यन करनार बने एवं लागे छे.
जे वांचता ज आत्माना भयानक आवेश-आवेग वगेरे भागी जई शांत-प्रशांत-उपशांत अवस्था (स्वनी) प्राप्त करावे एवं आ शास्त्र अनेक भव्यात्माने आत्म-कल्याणकारी बनशे ज ए शंकारहित वात छे. अस्तु...
- विमलहंसविजय
बारडोली.
को
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