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म पूज्यश्री का सुरेन्द्रनगर में प्रवेश, दि. २६
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८-९-१९९९, बुधवार
भा. व. १४
. हम पर समस्त पूर्वाचार्यों का उपकार है । यदि उन्होंने शासन नहीं चलाया होता तो ? जंजीर की प्रत्येक कड़ी की तरह प्रत्येक का उपकार है ।
- जिन्हें प्राप्त हुआ है उन्हें प्रभु के प्रेम से ही प्राप्त हुआ है । प्रभु के प्रेम की झलक प्राप्त करने वालों ने स्वयं को पूर्ण रूप से सोंप दिया । हम तो अधिकतर रखकर थोड़ा सा देते हैं ।
भगवान को सर्व प्रथम पहचानने वाले मानव गौतम थे । वे आये तो थे वाद करने के लिए परन्तु बन गये शिष्य । मिथ्यात्व चला गया, सम्यक्त्व आ गया । अप्रमत्त तक की भूमिका गौतम को किसके द्वारा मिली ? केवल भगवान के प्रेम के प्रभाव से ही मिली ।
मुंबई के दानवीर माणेकलाल चुनीलाल ने मुझे कहा, 'मैंने सबको सब प्रकार की छूट दी कि ले सको उतना ले लो, परन्तु मेरे पास कोई एक लाख लेने वाला नहीं मिला । एक पचास हजार लेने वाला मिला ।' मनुष्य कितना मांग सकता है ? अपने भाग्य से अधिक नहीं मांग सकता ।
कहे
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