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७-९-१९९९, मंगलवार
भा. व. १२-१३
अपराध नहीं करने वाले को दण्ड नहीं मिलता । राग-द्वेष नहीं करने वाले को कर्म बंधते नहीं हैं। राग-द्वेष करना ही अपराध है । अपराधी को दण्ड मिलता ही है। सिद्धों को दण्ड नहीं मिलता, क्योंकि वे अपराध करते नहीं ।
__ मल्लिनाथ भगवान को स्त्री बनना पड़ा । अच्छेरा हुआ, परन्तु कर्मसत्ता ने नियम नहीं बदला ।
इस कर्मसत्ता से मुक्त करने वाली धर्मसत्ता है ।
मरुदेवी माता को कर्मसत्ता से मुक्त कराने वाले भगवान के दर्शन थे।
- जब से संसार है, तब से तीर्थंकर भगवान हैं ही । तीर्थंकर अनेक बार मिले होंगे, परन्तु योगावंचकता कभी नहीं मिली । जब तक यह जाना न जाय कि तीर्थंकर या गुरु मेरे तारणहार हैं, तब तक योगावंचकता प्राप्त नहीं होती ।
गोशाला एवं गौतम दोनों को भगवान महावीर मिले थे । एक को फलीभूत हुए, दूसरे को नहीं हुए । एक को योगावंचकता मिली, दूसरे को नहीं मिली । कहे कलापूर्णसूरि - १ ***********
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