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पहले परमात्मा को पकडने पडेंगे ।
खोई हुई आत्मा परमात्मा के द्वारा मिलेगी । जिस दिन आपका मन परमात्मा में लग गया, उस दिन आपको आत्मा मिल गया समझें ।
अपनी आत्मा की हम जितनी चिन्ता नहीं करते, उससे अधिक चिन्ता परमात्मा करते हैं ।
__आत्मबोध होने के बाद भी परमात्मा के शासन की उपेक्षा नहीं करनी है । यह क्षयोपशम भाव है, कभी भी जा सकता
___ एकाएक मोटो धडाको थयो होय एम पूज्यपादश्रीजीना कालधर्मना समाचार सवारे ९.०० वागे मळ्या । सकळ संघ साथे देववंदनादिक कर्या ।
_ज्यारे जिनशासनना गगनमां अंधकार गाढ बनतो व्यापी रह्यो छे त्यारे आ घटना अतिशय आघातजनक बनी । आपणे महासंयमी, उत्कृष्ट प्रभुभक्त, वात्सल्यमय पूज्यश्रीजीने गुमावीने शुं नथी गुमाव्युं ?
आपणा बेघाघंटु संयमजीवन सामे आ अपूर्व आदर्श हतो । ते महात्मा, देवात्मा बन्या छे । हवे ते भरतक्षेत्रना जिनशासनना राहबर बने । आपणने साथ आपे । जिनशासननी मशाल लईने आपणी सौनी आगळ रहीने दोट मूके । शंहशे भावी ...? आवी केटली थप्पडो खावानी आवशे ? समजातुं नथी।
तमे सह वियोगना आघातथी खूब पीडाता हशो । पण तेवू न करता । तेओ उर्ध्वगति पाम्या छे । तेमनी पाछळ साची श्रद्धांजलि तो तेमनी भावनाओने जीवनमां मूर्तिमंत करीए तेमां छे...
तत्त्वदर्शनने खूब आघात लाग्यो छे । चिंता न करता । हुं संभाळी लईश...
- एज... चन्द्रशेखर वि.नी वंदना
म.सु. ४, भायखला.
(कहे कलापूर्णसूरि - १ ****************************** २४७)