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पट्टधर के साथ वार्तालाप में पूज्यश्री, . संन्द्रनगर, दि. २६-३-२०००
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३-९-१९९९, शुक्रवार
भा. व. ८
- जो तारता है वह तीर्थ है । जिस व्यक्ति को डूबने की आशंका हो, वही तैरने के लिए उत्कण्ठा बताता है । क्या आपको यह लगता है कि हम डूब रहे है ?
डूबते हुए प्राणी को बचाने का कार्य तीर्थ का है ।
विषय-कषायों में फंसना अर्थात् डूबना । डूबता हुआ मनुष्य बचना चाहता है, कैदी कैद में से छूटना चाहता है, उस प्रकार धर्मात्मा संसार से मुक्ति चाहता है ।
आश्चर्य की बात यह है कि कई जीव बार-बार कारागार में जाना चाहते हैं ।
वह वणिक जान बूझकर कारागार में जाने के लिए अपराध करने लगा । पूछने पर बोला - 'मैंने वहां व्यापार किया है । अब दूसरी बार जाऊंगा तो वसूली हो सकेगी न ?'
आप तो ऐसे नहीं हैं न ? ___ कारागार जैसे संसार में बार-बार जाने की इच्छा तो नहीं होती है न ? आपके तो हिसाब बाकी नहीं रहे हैं न ?
जर-जमीन-जोरू ये तीन आसक्ति एवं झगड़े के मूल हैं ।
कहे
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