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भगवान जगन्नाथ हैं । भगवान जगरक्खण हैं, दुर्गति से बचा कर सद्गति में ले जाते हैं । कत्लखानों से बचा कर गायों को पांजरापोलों में न भेजे जायें तो ? दुर्गति से रोक कर भगवान हमें यदि सद्गति में न भेजें तो ?
'जगबांधव' भगवान हमारे सच्चे बन्धु हैं । आपत्ति के समय बन्धु ही काम आते हैं, दूसरे तो सब भाग जाते हैं। संकट के समय सम्पूर्ण जगत् भले ही आपको छोड़ दे, भगवान कभी नहीं छोडेंगे । 'जगभाव-विअक्खण' भगवान जगत् के भावों के ज्ञाता हैं ।
'जगचिन्तामणि' में ये समस्त नाम भगवान हुए ।
'अट्ठावयसंट्ठवियरूवं' तथा 'रिसह सित्तुंजि' से 'सासय बिंबाई पणमामि' तक स्थापना भगवान, 'उक्कोसय सत्तरिसय' से द्रव्य भगवान, 'संपइ जिणवर वीस' से भाव भगवान की स्तुति हुई ।
पूज्यपादश्रीना देवलोक थयाना समाचार सांभळी वज्रघात अनुभव्यो । जीवनभर भक्तिना माध्यमे प्रभु साथे ऐक्य अनुभवी आ काळना महान योगीए विदाय लीधी । हैयुं अंदरमां रडी रह्यं छे । हवे आवा परमात्मभक्त बीजे क्यां जोवा मळशे? परमात्मभक्ति, जीवमैत्री अने जड विरक्तिनो त्रिवेणी संगम पूज्यश्रीमां जोवा मळ्यो हतो । वि.सं. २०५५ मां सुरतना पांच दिवस दरम्यान पूज्यपादश्रीजीनी साथे रहेवा मळ्यं हतुं ते दिवसो हजु पण याद आवे छे । पूज्यश्रीना अलौकिक गुणोथी आकर्षाईने योगदृष्टिना अजवाळा भाग-३ तेमना करकमलमां समर्पण करवानी भावना जागी हती, जे साकार बनता विशेष आनंद अनुभवायो हतो ।
पूज्यश्री आ काळना महान संत, अव्वल कोटिना परमात्मभक्त, ओलिया फकीर, शांतिना फिरस्ता, शांतिना दूत, शांतिनो पैगाम हता. जीवनभर खीलीने पोतानी सुवास चोमेर फेलावीने एक कमळ अकाळे करमाई गयुं । एक दीवो पोतानो प्रकाश फेलावीने अचानक बुझाई गयो । हवे पूज्यश्रीना मार्गे आपणे सौ चालीए । पूज्यश्री जे केटी कंडारी गया छे तेना उपर चाली कृतकृत्य बनीए ।
- एज... मुक्तिदर्शनविजयनी वंदना
म.सु. १३, मुंबई.
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