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- कामली, दांडो, ओघो आदि 'मेरे' हैं, परन्तु भगवान 'मेरे' हैं ऐसा कभी लगा ? 'जीवमात्र मेरे' हैं, ऐसा कभी लगा ?
_ 'सर्वे ते प्रिय बान्धवाः न हि रिपुरिह कोपि । मा कुरु कलिकलुषं मनो निज सुकृतविलोपि ॥
- शान्त सुधारस सर्वे तुज प्रिय बंधु छ, नथी शत्रु कोई, झगड़ो करी मन ना बगाड़, जशे सुकृत भाई !
पूज्यश्रीना आघातजनक समाचार सांभळी शोक संतप्त हृदयवालो एवो विचारमूढ बनी गयो छु के आपश्रीने शुं लखें ? अने शुं न लखं? कांई ज समजातुं नथी ।
प्रातः समये नाकोड़ा तीर्थना बन्ने मैनेजरोए मारी पासे आवीने कालधर्मना जे समाचार आप्या ते सांभलतांनी साथे हुँ एकदम रड़ी पड्यो, हृदय भांगी पड्यु, अंतर शून्य थई गयुं, कांई ज करवानुं सुझे नही, मन्दिर पण ठेठ साड़ा बार वाग्या पछी जई शक्यो ।
सवा महिनाना अल्प सत्संगमां पूज्यश्री द्वारा प्राप्त थयेल अनहद वात्सल्यभावना कारणे अत्यारे पण अनुभवाइ रहेल आन्तरिक सान्निध्य कालधर्मना समाचार सांभळतांनी साथे ज जाणे झुंटवाइ गयुं ।
सवा महिनाना सान्निध्य दरम्यान पूज्यश्री साथे करवा मलेल परमात्मभक्तिना अनुष्ठानरूप चैत्यवंदन - देववन्दन - लागलगाट अनेकानेक स्तवन आ बधुं याद करूं छु अने आंखोमांथी आंसुओ टपके छे अने आ रुदनना कारणे पत्रलेखननी गति पुनः पुनः स्तंभित थइ जती होवाथी अहीं सुधीनो पत्र लखतां दोढ कलाक व्यतीत थइ गयो छे अने हवे छेवटे नरेन्द्रभाईने आपनी पासे आववा माटे अहींथी खाना थवानो गाडीनो समय थइ जवाना कारणे मनना बधा ज भावोने मनमां ज दबावीने पत्र पराणे पूरो करूं छु।
- एज... मुनि रैवतविजयनी वंदना
१६-०२-२००२, नाकोड़ा तीर्थ.
कहे
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