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________________ પૂજય બધુ-યુગલનું સાહિત્ય कलिकालसर्वाश्रीहेमचन्द्रसूरिविरचितम् द्वचाश्रयमहाकाव्यम् (अन्वयाऽनुवाद - प्रयोग-विभूषितम) ता::1.10 आशीर्वाददातार: अध्यात्मयोगिनः पूज्याधायाः श्रीमदविजयकलापूर्णसूरीक्षरा: पूज्य पं. श्री कलाप्रभविजयजी गणियराश्य सम्पादकाऽनुवादको मुनिश्री मुकिचनविजय-अनिचन्द्रविजयी प्रकाशक ana-6000 दुdिaeaaton शीवाद-तारा SONadu विनि अमोमिनपुण्याज आपापी भी शालिभद्र महाकाव्यमी विजय कलापूर्ण सूरीश्वसः ISIRISI FEMAMACassesselAMADHANE अभिधानचिन्तामणिनाममालाया अकारादिक्रमेण vasmaसोमवनविधिमा माराया अभिधानचिन्तामणि-नाममाला सार्थ-शब्दावली ज्योतिको पनि मायामा जम्मानमयोगिनः पूज्यपानासाया श्रीविजयकलापूर्णसूरीश्वराः मपुर माविण पूयपादाः श्रीविजयकलप्रभसूरीश्वरः • आशीर्वाददातारः * अध्यात्ममोगिनः पूज्यपादाः आचार्याः श्रीविजयकलापूर्णसूरीश्वराः मपुरमापिणः पूज्यपादाः आशाः श्रीबिजयकलाप्रभसूरीश्वराश्च 1005250SALAMRITERATAILSOMATICISTIAAAMSANCTIONARDASTRATOR (न गणिनी मुक्तिचन्द्रामा मुनिचन्द्रविजयश्व गणिश्री सम्पादकां । गणिश्री मुक्तिचन्द्रविजयः गणिश्री मुनिचन्द्रबिजयश्च प्रकाशक श्री पाणीचर श्वे. भू.पू. जैन सड्यः (कच्छ)। प्रकाशक श्री यांकी तीर्थ ट्रस्ट, [कथा] S ना सतगंगा अध्यात्मवाया पू. मुनिराज श्री मुक्तिचन्द्रविजयजी म.सा. पू. मुनिराज श्री मुनिचन्द्रविजयजीम्सा . Rai विलयापूशबRO HAI
SR No.032613
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 01 Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShanti Jin Aradhak Mandal
Publication Year2003
Total Pages708
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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