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પ્રાર્ચન ભૌગોલિક ઉલ્લેખ
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१०४. महाभारत, भीष्मपर्व, १०-२५ १०५. एजन, आरण्यकपर्व, ८७-७ १०६. मत्स्यपुराण, ११४- २४ मार्कण्डेयपुराण, ५४-२०; ब्रह्माण्डपुराण, १-२-१६-२८ ( पाशा पाई ); बामनपुराण, १३-२४ (शरा पाठ)
१०६.
महाभारत, आरण्यकपर्व, १०३ - १ थी ४
१०७. एजन, ८७-९, १०
१०८. एजन, ७-४-५-४९
११०. एजन, ७–४-१४-४५ ११२. भुमो (५२ ५. २९४.
११३. पाणिनि, उपर्युक्त, ४-२-११०; ४-१-४५
११४. महाभारत, आरण्यकपर्व ९३ - २; भीष्मपर्व, १० - १७
११५.
११९२५. पु. गु., पृ. ७९
११७. पद्मपुराण, ६-१५५ ३, ६-१५६-४ ११८. ब्रह्माण्डपुराण, १-२-१६-२५
११७ महाभारत, सभापर्व, ९-१९
१२०.
काव्यमीमांसा, पृ. ९४
११ भुं° ]
भागवतपुराण, ६-८-३९
१०८.
१११.
१०७२५.
स्कन्दपुराण, ७-४-२-३, ४
एजन, ३-२-३१-१५, ७-४-५-४७
महाभारत, मौसलपर्व, ८-४३ थी ६१
12. D. C. Sircar, op. cit., p. 161 १२१२५. महाभारत, भीष्मपर्व, १० - १९
१२२. एजन (कुम्भकोनम् आवृत्ति), १०-२४ १२२२५. गु. भै. से, सेअ न ं. ९, ५. ८ १२३२५. विविधतीर्थकल्प, पृ. १० १२४. खा नहीखोना सहस :
११९. ऋग्वेद, १०-७५-६
१२३. सेन, सेा नं. १५, पृ. ९
'रंडी' : गु. भै. से., सेम नं. ११९, . ३९ 'वत्सव' : सेन, ते नं. ४१, पृ. ७८ 'यत्रिभत्ति' : भै. शु., परिशिष्ट ४, पृ. १५
'महावि' : गु. म. से., सेा नं. १०, ५ १०८ पुरातन दृक्षिण गुणशत' ५. २०३
'नेशछ' : भै. गु., परिशिष्ट ४, पृ. २५
‘भतिवापीवड’, ‘लर्जीश्वरतटावड', 'वीश्वर्भ' तटास्वड' : गु. . ., सेज नं. १४, पृ. १४७