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________________ सामर्थ्यशाली महात्माओ को कराया जाये जीसे वे विश्व समक्ष विज्ञान एवं जैनदर्शन की तुलना कर के जैनदर्शन की वैज्ञानिकता का यथार्थ प्रतिपादन कर सके। ___(११) साधु-साध्वीओ की विहार एवं अभ्यास के साथ आरोग्य की सुरक्षा भी चतुर्विध संघ का अपना कर्तव्य है। उस दिशामें काफी कदम उठाये गये है और भी कदम उचित रुप से उठाया जाये। समस्याओ के समय योग्य सारवार की व्यवस्था एवं रोग के दौरान आवश्यक भोजन आदि का प्रबंध हो। ये कार्य जहा स्थानिक संघ सक्षम हो तो वो ही कार्य करे अगर संघ सक्षम न हो तो केन्द्रस्थ वैयावच्च समिति द्वारा कार्य कीया जाये। (१२) साधु साध्वी जैसे संघ के शीर्षस्थ है, तो श्रावक-श्राविका भी संघ के महत्त्वपूर्ण घटकतत्त्व है। ये घटक भी सुखी, समृद्ध होंगे तो ही जैनसंघ में वास्तविक उन्नति हो सकती है। जैनधर्म का परिपालन करनेवाले लोगो को आर्थिक समस्याओं के दौरान उन की उचित साधर्मिक भक्ति हो कि वो समस्या से बहार आये। जैनो का अपना Employment ब्युरो, जैनो की वेपारीओ की प्रतिनिधि बेठक, जैनो का परस्पर Business आदि में सहयोग, जैन बच्चो को शिक्षण में सहाय आदि अनेक कार्यो में विगत वर्षो में जीतो जीवो एवं रत्नसुदंरसूरि म.सा. प्रेरित विविध फाउण्डेशनो ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। ईश दिशा में भी केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा समुचित प्रयासोसे जैनधर्मीओ का जीवनस्तर उंचा ए अच्छा बनाया जा सकता है। साथ ही में संगठित करने पर धर्मपालन एवं धर्मसुरक्षा के लीए भी जागृत कीया जा सकता है। जैनधर्मीयों के आवास, औषध, शिक्षा, रोजगार एवं आदर्श धर्ममय जीवन निर्माण ये पांच मुद्दो पर सुंदर आयोजन करने से भविष्यमें जैनसंघ अदभुत उंचाई प्राप्त करेंगा। ___Global Warming ओर Climate Change के प्रति जैनधर्म का अपना विशिष्ट दृष्टिबिंदु है। पर्यावरण की रक्षा नये युग की ज्वलंत समस्या है। उस समस्या के समाधान के लीए जैनधर्म के दृष्टिबिंदु का (જ્ઞાનધારા ૬-૭ ૧૪૨) ર્જિનસાહિત્ય જ્ઞાનસત્ર ૬-
SR No.032594
Book TitleGyandhara 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvant Barvalia
PublisherSaurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre
Publication Year2011
Total Pages170
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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