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INSCRIPTION FROM DABHOI.
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मिंद्र व विश्वमन --- - श्रीमूलराजकुसजेषु मृगांकमौषिभशेषु भूपतिषु तेषु दिवं गतेषु । यस्खे संप्रति समतिपत्रवित्तचित्तेवेमभिर- ~-~- [...] --u-vuu-vu-u-u --u-uuu-uu-u-ul --u-uuu-uu-u-u दु - मंधकारिणः सुरभीकरोति । १
खाकर खसंपदमिमासु बचि-- [] नीचर्भव कांचनाचल [यथा] नापि नासोबास । --स्य जगतोऽपि निलयितुं-- -- - --- --- ---------[10]" v--uv-u--
--तिविभितामि। करोति-रधिकाधिकैयः ।। पूर्वाचि पूवाधराधरागि८५ भावा यवारवालः पीत्वा मातंगकुंभवीला । पनुतापीव व्रतयति रिपुत्पतीना----00४]
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L48.
L47.
. . . . . खोखा - सेव दास्थायव यः पावरं बारवति ---10[0] . . . . . .
L48.
--------बीमलखानमंदिर। ---पुरषां -नपुरा पुनरपत ।[२]°
राविधिवरावार प्रासाई कारय-~-। . . . . .--. . . . .
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[2]
Motre, Rathodahate. # Metre of verses 80-81, Vantatilaka # Motro, Bardalavikridita.
Metro, Upajati. * Metro, Arya • Metre of vernes 09-96, Annabtabh.