________________
ATGUST, 1885.]
THE SONG OF ALHA'S MARRIAGE.
227
494
539
चलल जे पलटन इन्दरमन के सिब मन्दिर पर पहुँचल | क द बिअहवा सोनवों के काहे बड़ेबराड़ 625 जाय
प्रतनी बोली समदेवा सुन के राजा बड़ मगन हाय जाय तोप सलामी दगवावल मारू डका देल बजवाय | तू सोनवाँ के कलबिअहवा काहे बैढ़बराड़ खबर पहुँचल बा रूदल कन भैया आल्हा सुनी मोर प्रतनी बोली रूदल सुन के बड़ मङ्गन होय जाय बात
| सुनी बारता समदेवा के कर तैयारी पलटन के सिब मान्दर पर चली बनाय | काँचे महुअवा कटवावे छवे हरिपरी बाँस 130 निकलल पलटन रूदल के सिब मन्दिर पर पहुँचल | तेगा के माँड़ो छैवीले बा बाय
नौ सै पण्डित के बोलावल मड़वा में देल बैठाय बोलल राजा इन्दरमन बाबू रूदल सुनी मोर बात | सोना के कलसा बैठीले बा मैड़वा में डेरा फेर द० प्रजनी से तोहर महा काल कट जाय पीठ काठ के पीढ़ा बनावे मड़वा के बीच मझार 534 तब ललकारे रूदल बोलल रजा इन्दरमन के बलि जाँघ काट के हरिस बनावे मैड़वा के बीच मझार - जात्रा
भूड़ी काट के दिया बरावे मैंडवा के बीच मझार कर द० बिअहवा सोनवाँ के काहे बढ़ेबराड़ 500 | पलटन चल गैल रूदल के मैंडवा में गैल समाय पड़ल लड़ाइ है पलटन में झर चले लागल बैठल दादा है सोनवों के मड़वा में बैठल बाय तरवार
बूढ़ा मदन सिङ्घनाम धराय ऐदल उपर पैदल गिर गैल असवार उपर असवार प्रक बेर गरजे मैड़वा में जिन्ह के दलक दसो दुबार मुँईयाँ पैदल के न० मारे नाहि घोड़ा असवार बोलल राजा बूढ़ा मदन सिङ्घ सारे रूदल सुन० बात जेत्ती महावत हाथी पर सभ के सिर देल दुखराय 504 | हमार छवे महीना लड़ते बीतल अब ना हठे इन्दरमन बीर | कत बड़ सेखी है बघ रूदल के मोर नतमी से करै चलल जे राजा बघ रूदल सोनवा कन गैल बनाय | बियाह हाथ जोड़ के रूदल बोलल भौजी सोनवा के बाल पड़ल लड़ाई है मैंडवा में जहवाँ पड़ल कचौंधी मार जाओं
नौ मन बुकवा उड़ मँड़वा में जहवाँ पड़ल चैलिअन मार केउ के मारला से ना मुइहे अप्पन कटल बीर कटाय | ईटीबरसत बा मैंडवा में रूदल मन में करे गुनान 45 जवहीं काटब० हूँ भैया के तब सोनवा के होई आधा पलटन कट गैल बघ रूदल के सोना के कलसा बियाह
509 बूडुल माँड़ो में प्रतना बोली सोनवौ सुन के रानी बड़ मङ्गन होय जाय धीचे दोहाइ जब देबी के देबी माँता लाग सहाय अम्बर तेगा सॉनवाँ के ले लेल धैल मरद के भेस । | धैंचल तेगा है बघ रूदल बूढ़ा मदन सिद्ध के मारन आगे आंग सोनवा पाछे रूदल चलल बनाय पड़ल नजरिया सोनवाँ के इन्दरमन के पड़ गैल दीठ सिरवा कट गैल बूढ़ा मदन सिद्ध के बोले इन्दरमन बातें बोले भगवत के बलि जाओं हाथ जोड़ केसमदेवा बोलल बबुआ रूदल के बनि मुदई बहिनी मोर पहुँचल बाय:
515| जाना घेचल तेगा राजा इन्दरमन सोनवी पर देल चलाय कलबिअहवात सोनवाँ के नी से पण्डित लेल जों तक मारल सोनवाँ पर ढालन पर लेल बचाय | बोलाय जों तक मारल इन्दरमन के सिरवा दइ खण्ड होय | अधी रात के अम्मल में दुलहा के लेल बोलाय
लै बैठावल जब सोनवाँ के आल्हा के करे बियाह लोधिन गिरे इन्दरमन केसोनवौं जीव ले गैल पराय 519 | कैल बिअहवा ओह सोनवा के बरिअरिया सादी कैल तब ललकारे रूदल बोललभैया सुनी हमार प्रक बात | बनाय पलटन चल गैल बघ रूदल के गङ्गा तीर पहुँचल बाय | नौ सै कैदी बाँधल ओहि माँड़ो में सभ के बेड़ी देल डुबकी मारे गजा में जेह दिन गङ्गा करे असनान | कटवाय
555 चलल जे पलटन फिर ओजनी से मना गढ़ पहुँचल | जुग जुग जीभ बाबू रूदल तोहर अमर बजे तरवार बाय
डोला निकालल जब सोनवों के मोहबा के लेल तकाय हाथ जोड़ के रूदल बोलल बाबू समदेवा के बलि जानी रातिक दिनवी का चलला में मोहबा में पहुँचल बाथ
बनाय
549
जाय