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CHAULUKYA GRANT OF TRILOCHANAPALA.-SAKA 972.
बंदद जापमसि द्विष्टा | विका रद्द बनि प्राका लक्षानुगामागु पुंगवास जानाका पत्यमात्॥२२॥ स्यादवितान की नियमि यायावत सहसा गयषागृह सावा वा मायावती समुद्र लवद्दति गीतासुः॥ २३॥नमा निति जोन नेहा लेव मनामा २४ ॥ आवादियमन व निरुता वायविषादात्माविका नायवती ईर्मनी जानती मावि ज्ञानिव समाज यातः पत्र साह कानदुवैका विको धनादिवादयत्री कर्णाल२६- निलमना माता तानि कानिसमा लान पि श्रीला ट्रामापातुकलिरुजीं॥॥॥या विमा गाय सा गुलगुरू योगपाल विक्रमः॥२॥ आमवात दिन विद्यानानि ॥ ॐ मिनाथ खुगल सुकाठ माता नवपुसवला
महामातमिति सात स्यानश्वावादिकला वास गरुबाट समान तस्या वल. या द्रक्तमा प्रबल मानावाला