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________________ INSCRIPTION FROM GAYA, DATED 1813 OF BUDDHA'S NIRVANA. पनामात्राघवाघ (न? घाघ मिहानघातः मो) भाव चत्रियही शान राहि वाहेक हिमवना निदाघ (वाघीन कला दिन विद्यावान निधिप्रधानम विक्रमशिलाका कवियात्रा । (हे घाविधान घनी नाला कामाचे घ73घाना क्षाधीशा घाघ मिहानमनियामान वा शतघाना घानाकाश का नघान वाघाचा घाघानी कम द्यावी व वहिका मानव श्रमावाशिवाय कलाना त्रिविमच कनक मिहिनेत्री श्रीधति (नाव 35 श्रवयामाशाहनामा गद्याद्य विद्यालय चिनियाला उगवा ३ धिद्याद्यानि वि? नवना घुघाघ विद्या विना बाना सिंहाधीन मृगानु (काग्र कर पकता निवि कमाउन लाना (घाघ घना ६६ यथायामिमिका रुदिগविधान या जीवनशवकही (मानव डाउन (घतिह विद्याद्यविद्याधना उघडया घ श्रीविद्या हि मया धनवान वृडा लिंगाले श्रीमद् गातुमाधाया नाविनी (अनि मानमान मोका काली मिर्च 55 (11657 गावी त्यनृत्यची डिन तानेकी घर में रिया घशाला विद्याविद्या विद्याहार विद्याविहनाचा को मनाया। कावड घाना घानां विवियानि याहा निव वासाधावाच वद्य विभाग नचिव गाव 388 व नागि 38काधिश्री ची निगलमुल वाविद्य ● नयक श्रीनि8 गाना ঘর डिनिस कार्डधा Bhagwanlal Indraji. fecat, Scale, a tos of the original.
SR No.032502
Book TitleIndian Antiquary Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages440
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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