________________
महाजनवंश मुक्तावली.
चारोंकों, पद्मावती देवीने, स्वप्न दिया, कल यहां खरतर गच्छ नायक, श्री जिनेश्वर सूरिः आचार्य, आयगे, उन्होंके पास तुम जैन धर्म अंगीकार करोगे तो, तुम पीछे राज्याधिकारी बन जाओगे, प्रभात समय, वोहि बात वणी, ये चारों श्रावक हो गये व्यापार करणे लगे, अगणित धन पैदा करा, अपने गोत्री वोहित्थरोंको संगले, सजयका संघ निकाला, रस्तेमें गाम २. में जणे प्रति एकेक मोहर, चांदीका थाल सोपारियोंसे भरकर देते चले, तबसे फोफलिया कहलाये, समधरका पुत्र, तेजपाल उसने गुजरात देशका ठेका लिया, तीन लाख रुपये लगाकर श्री जिन कुशल सूरिःनीका, पाट महोत्सव किया, सत्रुजयका संघ निकाला, खरतर वसीमें २७ अंगुलके बिंबकी प्रतिष्ठा कुशल सूरिसे करवाई, पिताकी तरह मोहर थाली ५ सेरका लड्डू वांटते, सात क्षेत्रोंमें बहुत द्रव्य लगाया, पाटण, जिन मन्दिर धर्म शालायें, करवाई, तेजपालका वील्हा, वील्हाके २ पुत्र, कड़वा १ और धरण २ कडवा बड़ा दातार, पिताकी तरह संघ जीर्णोद्धार, लाणे वाटी, एक दिन कड़वा, चित्तोड़ गया, राणेजीने सन्मान किया, अकस्मात् मांडव गढका बादशाह मुसल्मान चित्तोड़पर चढ़ आया, तब राणेजीकी प्रार्थनासे, बादशाह में मेल करा दिया, तब राणेनीनें, बहुतसा, धन, घोडा, सिरोपाव देकर, मंत्री बनाया, कुछदिन पीछे फिर गुजरात पाटण गये, राजाने पीछी पाटण देदी, गुजरातकी, जीवहिंसा, वन्द करदी, खरतर गच्छाचार्य श्री जिनराजसूरिःका, सवा लाख रुपये लगा कर, पाट महोत्सव करा, सं. १४३२ सजयका संघ निकाला, सात क्षेत्रोंमें क्रोड़ों रुपये लगाये, कडवेजीके तीन पीढ़ीका नाम मिला नहीं, चोथी पीढ़ी जेसलजी हुर, उन्होंके वछराजनी, देवराज, हंसराज, तीन पुत्र हुए, बछराजजी अपने भाईयोंको. संगले, मंडोवरके राव रिडमलजी, राठौड़के, मंत्री वण गये, राव रिडमलजीको चित्तोड़के राणे कुम्भकर्णने धोखेसे मारडाला, मंत्री वछराज जोधेजीको हिकमतसें, मंडोवर ले आया, जोधेनीके मंत्री वछराज रहै, जोधेजीके नवरंगढ़े राणी साखलोंकी बेटीसे दो पुत्र पैदा हुए; बीका और बीदा किसी कारण