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१७८ ' महाजनवंश मुक्तावली
५) रुपये हमेसके गांम भेटेकर जैपुर रहणेकी प्रतिज्ञा कराई ऐसे प्रभावीक खरतराचार्य विद्यमान हमने देखा है । खरतर साधु १॥ रिद्धिसागरजी २॥ श्रीसुगन चन्दजी बड़े प्रभावीक निकलै श्रीक्षमा कल्याण गणिःके पौत्र थे ऋद्धि सागरजी वलिबाकल प्रतिष्ठामें दश दिग्पालोंको देते नारेल उछालते गोटा ऊपर आकाशमें अलोप टोपसियां - फकत नीचे गिरती दुसाले पर आरती कपूर. सिलगाकै धर कर श्रावकोंसे जिन प्रतिमाकै सामने उतरवाते दुसालाके दाग नहीं लग सकता। मारवाड़में जिन मन्दिरकों बंध कर बिना पानी बिना आदमी धोकर, साफ करवाया, हजार घड़े पानी ढुला पाया। मंदिर खोला तो सब मलीनता साफ और जलसें गीला मालम दिया इत्यादि अनेक विद्याओंसें सम्पन्न फलौधी लोहावट पोकरणकै श्रावक देखनेवाले मौजूद हैं ३ । श्रीसुगन चन्द-' जीने बीकानेर नरेश महाराजा डूंगर सिंहजीको अनेक मन चिंताकी होनेवाली बात आगे कह दी। तब राजासें शिवबाड़ीमें मंदिरके वास्ते भूमिका पट्टा करवाया । अभी आचार्य खरतर पंडित तन सुखजीने मेघ बर्षाका बिकानेरमें बिलकुल अभाव भया तब दरबार महाराज श्रीगंगासिंहजीने हजारों रुपये खर्च कर ब्राह्मणोंसे अनुष्ठान कराया
बूंद भी नहीं गिरी तब इनको बुलवाया । इन्होंने कहा यदि गुरु- देव करेगा तो भादवा बदी दशमीसे बर्षा शुरू होगी और सच्च ही
उस दिनसें ही मेघने जय जयकार कर दिया। यह बात १९६३
सम्बत्की है। ऐसे २ प्रभावशाली मंत्रबादी सर्व शास्त्रवेत्ता यती . अभी विद्यमान हैं खरतर गच्छमें। ७४ श्री जिन चंद्रसूरिः इनकी अवज्ञा करनेवालोंको महाराजनें स्फुर माया
तूं कोढिया होगा, सो सच्च होगया । पं. अनोपचन्द जतीको, शैतान लगा था, सो बिना पढे अनेक भाषा बोलता था। बहुत लोगोंने इलान किये परंतु अच्छा नहीं हुआ गुरूनें एक तमाचा मारा सो उसी वख्त छोड़कर बोला जाता हूं । उसी वक्त वह होशमें आया । वह