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महाजनवंश मुक्तावली.
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७१ श्रीजिन सौभाग्य सूरिः इन्होंके समयमें १८९२ में मंडोवरमें महेन्द्र सूरिः सें ११ मांगच्छ भेद हुआ सौभाग्य सूरिः यावज्जीव एक लठाणा प्पादल विहार साढ़े १२ हजार सूरिः मंत्र का हमेशा जाप सच्चितके त्यागी कंवर पदेमें हनुमन्त वीरका मंत्र साधा था सो सिद्ध हो गया था रामगढ़में पोतेदारकी लड़कीके वचपणसें पथरी हो रही थी गुरू पास लाया गुरूनें तीन चलू पाणी पिलाया उसी समय २) रुपये भरकी पथरी निकल पड़ी मुरसिदा बादमें प्रताप सिंह दूगड़ को वृद्ध पण में नव पदं आम्नायदिया लक्ष्मीपती धनपति दो पुत्र धर्मोद्योतक हुए। "बीकानेर में महेश्वरी माणक चन्द वाघड़ीकों वृद्धपणे में पुत्र दिया राजा राठौड़कों अनेक चमत्कारसें बीकानेर में सिरदार सिंहजीकों परम भक्त वना कर अनेक कष्ट आपदा जीवोंकी दूर की इत्यादि बहुत है ग्रंथ बढ़के भयसें नहीं लिखते हैं महाराजासिरदार सिंहजीने ४ गांम भेंट करणेकी बहुत विनती करी गुरूने कहा सन्यासियोंको भ्रष्ट करको जागीर होती है सो सर्वथा इन्कार किया ऐसे दीर्घ दृष्टि त्याग बुद्धिः परम उपकारी हुए ।
१२ श्रीजिन हंससूरिः इन्होंके समय श्रीजिन महेन्द्र सूरिः के पटोघर श्रीजिन मुक्ति सूरि बडे शास्त्र वेत्ता चमत्कारी प्रकटे जेसलमेरसें फलोधी पधारते पोकरणके ठाकुरके कंवर हिरण मारणेको बन्दूक उठाई गुरूनें मना किया गुरूनें कहा छोड़ तो देखता हूं तीन वक्त कारतूस दिया बन्दूक की तरह हो गई यह चमत्कार देख चरणों में गिरपड़ा सहरमे पधराकर भक्तिकरी ऊंठ फेरता फतह सिंह चम्पावतकों फरमाया १ वर्षमें तेरे राज्ययोग होणा है वैसाही हुआ जैपुरनरेश सवाई रामसिंहजीके सामने कुल कांम कर्त्ता मुसाहिब हुआ गुरू जैपुर पधारे तब फतह सिंहने राजा सर्व वृत्तान्त कहा राजा वोला मेरे मनकी बात कहेंगें तो जरूर भक्ती करूंगा दोनों गुरूके पास आए गुरूनें कहा विलायतसें जो आज्ञा चाहते होसो एकही मुहूर्त में सिद्ध काम होणेवाला है वस बैठे २ ही तार आगया वैसाही तब राजाने भक्ति से
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