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________________ १६७ महाजनवंश मुक्तावली ६ श्रीयशोभद्रसूरिः श्रुत केवली १४ पूर्व धर ७ श्रीसंभूतिविजय सूरिःश्रुत केवली १४ पूर्व धर ८ श्रीभद्रवाहुसूरिः अनेक सूत्र नियुक्ती निमित्त ग्रन्थ रचे १४ पूर्ववर श्रुतकेवली कल्प सूत्रमें अशाढ़ चौमासेसें १० दिनसें संवत्सरी पर्व करणा फरमाया जैन अभिवर्द्धन संवत्सरमें पोष असाढ़ सिवाय दुसरे महीनें बढ़ते नहीं इस वास्ते संवत्सरी बाद ७० दिनसें काती चौमासा लगता हैं समवायांग सूत्र और कल्प सूत्रका पाठ संमिलित है भद्र बाहुस्वामीनें कल्प सूत्रमें महावीरके ६ कल्याणक कहे । ( पंच हत्थुत्तरे होत्था साइणा परि निव्वुए) पांच कल्याणक उत्तरा फाल्गुणीमें स्वाती नक्षत्र में निर्वाण पाये ९ श्रीस्थूल भद्रसूरि : १४ पूर्वघर श्रुतकेवली ८४ चोवीसी नाम चलेगा १० श्री आर्य महागिरी सूरिः दस पूर्वघर श्रुतके वली ११ श्री सुहस्तिसूरिः १० पूर्वधर श्रुतकेवली १२ श्री सुस्थितिसूरिः इन्होंने कोटि सूरि मंत्र का जाप करा कोटिक गच्छकी थापना हुई १० पूर्ववर श्रुतकेवली १३ श्रीइन्द्र दिन्नसूरिः १० पूर्वघर श्रुतकेवली १४ श्रीदिन सूरिः १० पूर्वघर श्रुतकेवली १५ श्रीसिंह गिरिसूरिः १० पूर्वघर श्रुतकेवली १६ श्रीवज्रस्वामीसूरिः १० पूर्वघर चरम श्रुतकेवली वज्रशाखा नाम हुआ १७ श्रीवज्रशेनसूरिः भगवानके ६०९ वर्षपर दिगाम्बर सम्प्रदाय निकली १८ श्रीचन्द्रसूरिः इन्होंके नांमसेंकोटिक गच्छ वज्रशाखा चन्द्रकुल प्रसिद्ध हुआ १९ श्री समंत भद्रसूरिः । २० श्रीवृद्धदेवसूरिः । २१ श्री प्रद्योतनसूरिः २२ श्री मानदेवसूरिः लघुशान्तिस्तोत्रके कर्त्ता २३ श्रीमानतुङ्गसूरिः वृद्ध भोजराजा सन्मुख भक्तामर स्तोत्र कर्त्ता तथा भयहर स्तोत्र रचकर नागराजाकों वसकरा । २४ श्री वीरसूरिः । २५ श्री जयदेवसूरिः २६ श्री देवानन्दसूरिः भगवान के ८४५ पीछे वल्लभी नगरी टूटी ।
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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