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________________ ११४ महाजनवंश मुक्तावली. जगच्चन्द्र सूरिःको चित्तोड़के राणेके पास महातपा विरुद दिराके, आचार्य पदका नन्दी महोत्सव करा, महातपाका तपानामक रलिया जगचन्द्र सूरिःका, जगह २ विहार करवाया तपागच्छ माननेवालोंको हजारोंको श्रीमन्त बणाया, १३ मत्रुजयका संघ निकाला वे गिणतीका द्रव्य इन्होंने लगाया, तपागच्छकों बहुत सहायता दी, इन्होंकी सहायतासे मारवाड़, गुजरात, गोढवाडमें तपागच्छ फैला, आज विद्यमान जो २ मन्दिर जैनियोंके मौजूद है, क्रोड़ोंके लागत केमो सब पोरवालोंकाही कराया हुआ है, वाकी जैनराजाओंका श्री श्रीमाल श्रीमाल ओसवालादिकोंका कोड़ों की लागतका कराया हुआ मन्दिर मुसल्मान बादशाहोंने नामी मन्दिर तीन लाख तोड़ डाले गुर्जर भूपावली वगैरह इतिहास देखणेसें मालुम होता है फिर निन्नाणवे लाखसोनइये धन्ने पोरवाल राणपुरेके मन्दिरकों लगाया ऐसे २ धर्मात्मा पोरवाल वन्शमें होगये समय मुताविक मन्दिरोंकी भक्तिमें अब भी लगाते हैं गोढवाड़में जैन पोरवालोंकी वस्ती बहुत है खरतर गच्छमें भी पोरवाल बहुत थे उपाश्रय खरतरोंके खालीपड़े खरतर साधुओंका बिहार कम हुआ इस ६० वर्षों में तपागच्छी साधुओंका जाणा आणा वणतेरहा गच्छ दोनों पोरवालोंका है खरतर तपा मालवेमें चह्मल नदीके किनारे तीन हजार घर अभी भी वैष्णव धर्मी है । ( पोरवाल २४ गोत्र नाम ) . १ चौधरी २ काला ३ धनघड़ ४ रतनावत ५ धनोट्या ६ मजावट्या ७ डबकरा ८ भादल्या ९ सेठया १० कामल्या ११ ऊधिया १२ वखरांड १३ भूत १४ फरक्या १५ लभेपस्या १६ मंडावऱ्या १७ मुनियां १८ घाट्या १९ गलिया. २० भैसोंटा २१ नेवपऱ्या २२ दानगढ , २३ महता २४ खरड्या, देवी इन्होंकी पद्मावती है। .. (हुंवड़ गोत्र ) पाटण नगरका राजा अजित शत्रु, जिसके पुत्र दो, भूपतिसिंह १ भवानी सिंह २ भूपतिसिंहकी माता, देवलोक होगई, भवानीसिंहकी माता, पाटराणी, रानाके माननीय थी, राजपूतोंकी रसम है, बड़ा पुत्र होयसो,
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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