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महाजनवंश मुक्तावली
लखमसीजी ६ जसवीरजी ७ मेघरायजी ८ श्रीचन्दनी ९ पालणसीजी १० मूलराजजी ११ देहडाजी १२ भीमड़नी १३ चम्मड़जी . १४ झांझणजी १५ महिपालनी १६ कोचरी १७ भाणोजी १८ देवोजी १९ सीहोजी २० उरजोजी २१ ।
(अथ वेदश्रेष्टी गोत्र ) , प्रथम राजपूत धूम १ अगन २ धीर ३ रावसी ४ धांधू ५ वीमल. ६ आपल ७ सोमदेव ८ इन्होंके पुत्र ११ सो सब पमार कहलाये, सोढलसी इसकी औलाद सब सोढ़ा कहलाये, भोमदेव १० सीहलदो भाई, भोमरेनरदेव, ११ ) धीरके पुंडरीक १ माघादेव २ कीरतःचन्द ३ जोधदेव ४ भोपाल ५ धरणीवाट ६ नेग्स ७ गईमिल्ल ( गंधर्वसैन । विक्रमादित्य इन्होंके पाटानुपाट ५ राजा विक्रम हुए ५ भोज हुए राज तखत उजैन टध भोजके मरे पीछे राज्य गया १२ पुत्र उहांसे निकल गये ६ वीसलका ७ चक्रवर्ति ८ पालणदेव ९. जोगीन्द्र १० ११ समरसेण १२ मुखमेण १३ नरदेवके गोदवनराज १४ अचलसेण १५ कर्मसेण १६ कंवरसेण १७ बोहसेण १८ बीरधवल १९ देवसेण २० सनखत्त २१ सेणपाल २२ आसधर २३ महीधर २४ शिवधर २५ विक्रमसेण २६ भीमसेंण २७ . सामदेव २८ वछराज २९ मुदवछ ३० रतनसी ३१ चन्द्रसेन ३२ । २६ पटधर भीमसेन भीनमालनग्र अपणे नामसे वसाया और सिरोही नगरके पहाड़ पर गढ़ वणाया इस वास्ते नगरका नाम सिरोही हुआ ३२ डूंगरसी ३३ रामसी ३४ कनकसी ) भीमसेनके तीन पुत्र उपलदेव बड़ा सो तो ओसियां वसाई सामदेव सिरोहीका राजा हुआ आसल भीनमालका राजा हुआ इसमें ऊपलदेवने तो जैन धर्म धारण करलिया सो ओसवाल हुआ .
और आसलका श्रीमालमोत्र प्रसिद्ध हुआ नाना श्रीमल्लराजाके नामसे २७ मीमसेणका २८ ऊपलदेव रत्नप्रभसूरिःने सेठियागोत्र थापा और ओसवाल कहाया भीनमालमें आसल, पीछे कनकसी, सामदेवकी शन्तानको राजा करा। ___ २८ उपलदेवके भृगुनरेश ३९ चक्रवर्त्त ३१ पालदेव ३९ जोगीय ३२ कोगुर ३३ समरमी ३४ सुखमल ३५ सुखमलका छोटा भाई अचल,