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________________ 439 जैन-विभूतियाँ ग्रंथ-संयोजक स्व. श्री हजारीमलजी बांठिया धर्म व सेवा के क्षेत्र में प्रशंसित व राजनीति, साहित्य, कला, पुरातत्त्व के क्षेत्र में सदैव अग्रणी श्री बांठिया जी ने 22 वर्ष की वय में बीकानेर छोड़ दिया और हाथरस को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। वे 10 साल निरंतर भारतीय जनसंघ, हाथरस के एकछत्र नेता और नगर अध्यक्ष रहे। श्री कल्याणसिंह (पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश) को प्रथम बार विधायक बनाने में भरपूर सहयोग दिया। आज के भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी व स्व. श्री दीनदयालजी उपाध्याय जैसे नेताओं से प्रशंसित-पुरस्कृत भी हो चुके हैं। आपने सन् 1972 से सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया और तब से साहित्यिक, सामाजिक और धार्मिक कार्यों में पूर्णरूपेण रूचि लेने लगे हैं। श्री बांठिया ने ग्वालियर में सन् 1857 की क्रांति के अमर शहीद श्री अमरचन्द बांठिया की तथा कानपुर और बीकानेर में इटली निवासी राजस्थानी भाषा के पुरोधा स्व. डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी की मूर्तियाँ स्थापित करवाई। बीकानेर में राजस्थानी साहित्य की समृद्धि हेतु 'सेठ स्व. श्री फूलचन्द बांठिया राजस्थानी रस्कार' की स्थापना की। इटली सरकार के निमंत्रण पर सन 1987 और 1994 में 'तैस्सीतोरी समारोह' में दो बार इटली व अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा की। बीकानेर और उदीने (इटली) में बनने वाले 'जुड़वां शहर' प्रोजेक्ट के प्रारंभिक सूत्रधार आप ही थे। अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन से आपका 44 साल का लगाव रहा और सम्मेलन के अनेक पदों पर संस्थापित रहे। अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ, दिल्ली जैसी सर्वोच्च संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। उत्तरप्रदेश में जैन तीर्थों (कल्याणक भूमि) के जीर्णोद्धार व विकास में इनकी हमेशा से अभिरूचि रही। पंचाल जनपद की राजधानी कम्पिल को भगवान श्री विमलनाथ की चार कल्याणक भूमि होने का श्रेय प्राप्त है। आप उसके सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्प थे। आप ने वहाँ एक दातव्य चिकित्सालय भी स्थापित करवाया। ___ श्री बांठिया जी के प्रयास से वेनिस एवं पादोवा (इटली) के पुरातत्त्वविद् प्रोफेसरों ने कम्पिल में उत्खनन कार्य प्रारम्भ किया है। वहाँ पर महाभारत-कालीन संस्कृति उजागर हुई है। ब्रज भाषा के लिए भी आपने सराहनीय कार्य किया है। ब्रज कला केन्द्र, मथुरा के आप राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। श्री बांठिया जैन समाज की सर्वोच्च संस्था सेठ आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी के प्रादेशिक प्रतिनिधि और श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन तीर्थ रक्षा ट्रस्ट की गवर्निंग काउंसिल के उत्तरप्रदेशीय सदस्य थे। साहित्य सृजन, प्रकाशन, संपादन और अनुसंधान कार्य भी आपने प्रचुर मात्रा में किया। इतिहास के गर्त में खोई हुई जर्मन जैन श्राविका डॉ. शार्लेट क्राउजे के सम्पूर्ण साहित्य का संग्रह कर एक वृहद् पुस्तक आपने पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्रकाशित करवाई।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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