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जैन-विभूतियाँ
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श्री राजकुमार ने सन् 1967 में फरीदाबाद में जिस औद्योगिक प्रतिष्ठान "ओसवाल एलेक्ट्रिकल्स'' की नींव रखी थी। वह अब पल्लवित पुष्पित होकर क्षेत्र का प्रमुख संस्थान बन गया है। सन् 1987 में इंस्टीट्युट ऑफ ट्रेड एण्ड इन्डस्ट्रियल डेवलपमेंट की ओर से राष्ट्रपति श्री जेलसिंह के कर-कमलों द्वारा आपको उद्योग-एवार्ड से सम्मानित किया गया। आप अनेक ख्याति प्राप्त धार्मिक, औद्योगिक एवं सामाजिक संस्थानों के पदाधिकारी एवं सदस्य हैं। फरीदाबाद में कलायुक्त जिन मन्दिर, उपाश्रय एवं ज्ञान-भण्डार का निर्माझ आपकी देखरेख में हो रहा है। सन् 1999 में आपको आचार्य विजय धर्म धुरंधर सूरि द्वारा 'श्रावक रत्न' के विरुद से नवाजा गया। आप जैन महासभा, दिल्ली एवं महावीर इन्टरनेसनल, फरीदाबाद के संरक्षक, श्री श्वे. मूर्तिपूजक जैन तीर्थ रक्षा ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं अनेक अन्य जन-कल्याणकारी प्रतिष्ठानों की कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य हैं।
9. श्री कन्हैयालाल जैन (पटावरी)
जन्म : 1947 पिताश्री : सुमेरमलजी पटावरी माताश्री : इन्दिरा बाई
राजस्थान में चूरू जिले के मोमासर ग्राम के श्री कन्हैयालाल
। जैन (पटावरी) ने समग्र जैन समाज में वैभव एवं प्रतिष्ठा का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अपने अध्यवसाय एवं लगन से दिल्ली में पी.वी.सी. कम्पाउंड का शीर्ष उद्योग स्थापित कर अर्जित सम्पदा का शिक्षण एवं धर्म की जनहितकारी प्रवृत्तियों में सफल सदुपयोग करने का श्रेय आपको है। इनके पितामह श्री जालमचन्द राजलदेसर के सरपंच एवं प्रतिष्ठित सज्जन थे। उनके पौत्र सुमेरमलजी बड़े मिलनसार, सरल एवं निरभिमानी सतयुगी पुरुष थे। उन्हीं के सुपुत्र कन्हैयालालजी ने अपने पुरुषार्थ से सन् 1947 में नया उद्योग स्थापित किया। इन्होंने अपने पिता के नाम पर सन् 1979 में 'श्री सुमेरमल पटावरी ट्रस्ट' की स्थापना की। यह ओसवाल समाज का सबसे बड़ा जन-हितकारी ट्रस्ट है। दिल्ली में स्थापित चक्षु अस्पताल एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय ने दिल्ली की सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं शिक्षण संस्थाओं में अपनी साख बनाई है। कन्हैयालालजी स्वयं प्रगतिशील विचारों के पोषक हैं। उनके आर्थिक अवदानों से जैन समाज ही नहीं, समस्त देशवासी लाभान्वित हुए हैं। उन्हें तेरापंथ धर्मसंघ की ओर से 'युवारत्न' अलंकरण से विभूषित किया गया है। उनकी माताजी श्रद्धा की प्रतिमूर्ति' एवं बहन श्रीमती तारा सुराणा 'नारी रत्न' अलंकरण से विभूषित हुई हैं। सन् 1982 में भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा उन्हें 'उद्योग पत्र' से सम्मानित किया गया। वे जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, दिल्ली के उपाध्यक्ष एवं दिल्ली की प्लास्टिक मेनु फेक्चरर्स संस्थान के अध्यक्ष रहे हैं। वे अणुव्रत न्यास एवं जैन विश्वभारती के मुख्य ट्रस्टी हैं। उनकी धर्मपत्नि श्रीमती सुशीला अ.भा. तेरापंथी महिलामण्डल की अध्यक्ष मनोनीत हुई हैं।