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इतिहास पुरुषों का चयन किया। कुछ अतिरेक या स्खलन भी हुए होंगे। इसका आकलन सुहृदयी पाठकों के हाथ है।
ग्रंथ के साथ जैन समाज में जीवंत गणमान्य स्त्री-पुरुषों का 'Who is who'' प्रकाशित करना संयोजकीय योजना का अंग था। परन्तु ऐसे प्राप्त विवरणों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि 'किसे दें और किसे छोड़ें' निर्णय करना सम्भव नहीं रहा। अत: ग्रंथ की सीमा देखते हुए उन्हें प्रकाशित नहीं किया जा रहा है। मैं सभी विवरण-प्रेषकों से क्षमा चाहता हूँ।
जैन धर्म मूलत: अपने तथाकथित धर्म-सम्प्रदायों के शिकंजे से परे है-यह अहसास मेरे इस लेखन की चरम उपलब्धि है। इस यात्रा-पथ में डॉ. सुगनचन्द सोगानी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बंसल, डॉ. शशिकान्त जैन, डॉ. विमल प्रकाश जैन, श्री उपध्यानचन्द कोचर, डॉ. बुधमल शामसुखा, डॉ. अनुपम जैन, डॉ. कपूरचन्द जैन, डॉ. सम्पतराय जैन, श्री जमनालाल जैन, प्रभृति सुविज्ञ आत्मीय जनों के सहयोग एवं निर्देशन से मैं कृतकृत्य हुआ हूँ। इस रचना यज्ञ में जिन्होंने संरक्षण-राशि की आहुति दी है, मैं सदैव उनका अनुगृहित रहूँगा। मूलत: ग्रंथ की कल्पना, संयोजन एवं संरक्षण राशि के संग्रह का श्रेय श्री हजारीमलजी बांठिया को है। उनके आकस्मिक निधन से जैन समाज ने एक सधा और निस्पृही धर्मोपासक ही नहीं खोया, अपितु प्राचीनतम सांस्कृतिक धरोहर का सुविज्ञ-पोषक खो दिया है। यह ग्रंथ उनकी पावन-स्मृति को समर्पित है।
___ आदरणीय श्री देवेन्द्रराज मेहता (श्री डी.आर. मेहता) ने अपने प्राकृत भारती अकादमी के संयुक्त प्रकाशन में ग्रंथ को प्रकाशित करने की महती कृपा की है। मैं उनका हृदय से आभारी हूँ।
-मांगीलाल भूतोड़िया