________________
[
xvi
]
नेता का अर्थ है जो स्वयं आगे-आगे गमन करके दूसरों को प्रेरणा देता है अथवा जो लक्ष्य बिन्दु प्राप्त करने के लिए स्वयं चलता है तथा दूसरों को ले जाता है उसे नेता कहते हैं। आधुनिक युग के संकीर्ण स्वार्थनिष्ठ कुछ नेताओं के समान केवल भाषण के मंच पर भाषण करके अपने कर्तव्य को इतिश्री मानता है, वह यथार्थ से नेता नहीं हो सकता । नेता को क्रान्तिकारी, आदर्श विचारधारा; निश्चल वचन, निष्कलंक चरित्र, कर्तव्यनिष्ठ, निःस्वार्थभाव, दूसरों के लिए समर्पित सेवा, अदम्य साहस, उत्साह, बलिदान की भावनादि अनिवार्य गुणों से अलंकृत होना चाहिये । नेता को आदर्श के पथ पर स्वयं को सर्वप्रथम चलना चाहिए पश्चात् दूसरों को चलने के लिए प्रेरणा देनी चाहिए। परन्तु वर्तमान के नेता स्वयं आदर्श के पथ पर एक कदम भी आगे न बढ़कर, पीछे हटते हैं एवं दूसरों के लिए लम्बा-चौड़ा भाषण झाड़ते हैं, इसलिए आज के नेता दूसरों के लिए आदर्श, प्रेरणापद, अनुकरणीय नहीं हो पा रहे हैं।
क्रान्ति का अर्थ है विकास/उन्नति, वर्द्धमान, सर्वोदय, सुख, शान्ति की उपलब्धि है । सामाजिक आर्थिक, नैतिक, यान्त्रिक, औद्योगिक, बौद्धिक, शैक्षिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक आदि भेद से अनेक भेद हैं। परन्तु वही क्रान्ति यथार्थ से क्रान्ति है, जिससे अक्षय, अनन्त, शाश्वतिक सुखशान्ति की उपलब्धि हो । इसकी उपलब्धि आध्यात्मिक क्रान्ति से ही हो सकती है अतः आध्यात्मिक क्रान्ति ही यथार्थ से सर्वश्रेष्ठ क्रान्ति है, इसलिए शान्ति के लिए आध्यात्मिक क्रान्ति का परिज्ञान होना अनिवार्य है । आध्यात्मिक क्रान्ति के परिज्ञान के लिए आध्यात्मिक क्रान्ति के अग्रदूत का परिज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि क्रान्ति के जीवन्त प्रायोगिक प्रयोगशाला क्रान्तिकारी महापुरुष होते हैं। इसलिए क्रान्ति के बोलबाला युग में हमने इस पुस्तक में क्रान्ति के अग्रदूतों के व्यक्तित्व किस प्रकार के होते हैं, इसे लिपिबद्ध करने का प्रयास किया है।
आध्यात्मिक क्रान्ति के अनुपूरक स्वरूप राजनैतिक, सामाजिक आदि क्रान्ति के अग्रदूतों का भी संक्षिप्त वर्णन इस पुस्तक में किया गया है। इस पुस्तक का अध्ययन करके आधुनिक मानव को ज्ञात कर लेना चाहिए कि यथार्थ क्रान्ति को लाने के लिए क्रान्तिकारी युगपुरुषों, नेताओं एवं क्रान्ति के इच्छुकों को किन-किन व्यक्तित्व एवं गतिविधियों को अपनाना चाहिए; उसका एक दिशा बोध इससे प्राप्त करना चाहिए। अखिल जीव जगत् क्रान्ति के अग्रदूत (तीर्थंकर) द्वारा प्रतिपादित सर्वोदय तीर्थ का अनुकरण करते हुए अनन्त सुख को प्राप्त करें इसी शुभ कामना के साथ
उपाध्याय कनक नन्दी