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लघु हो तब ही उसका कठोर दण्डस्वीकार कर लिया जाये तो वह दीर्घ होगा ही नहीं।
भूमि को चीरने के लिये लघु बीज ही समर्थ है। यह काम कोई भव्य, विशाल बरगद का वृक्ष नहीं कर सकता।
इस प्रकार पापों से भयभीत रहने का, पाप-भीरु होने का प्रथम उपाय यह है कि हमें नित्य यह चिन्तन करना चाहिये कि हमारे समस्त दुःखों का मूल पाप ही है, अत: हमें पाप नहीं करना चाहिये।
पापों का भय उत्पन्न होने के पश्चात् पापों से बचने के उपाय हैं - 1. पाप के निमित्तों से दूर रहना और 2. लघु पापों से निरन्तर सचेत रहना।
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