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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ आयोजित अनुमोदना बहुमान समारोह के निमंत्रण का भी इसी कारण से उन्होंने सविनय अस्वीकार किया था ।
पूर्वजन्म में वे जूनागढमें जैन श्रावक थे ऐसा जाति स्मरण ज्ञान भी उनको हुआ है।
सं. २०४५ में हमारा जामनगर में चातुर्मास था तब ४ महिनों तक निरंतर अखंड जपका आयोजन हुआ था, उसमें रात के तीसरे एवं चौथे प्रहरमें जप करने के लिए जयंतिलालभाई पटेल का सहयोग अत्यंत अनुमोदनीय था ।
भविष्यमें जिनकल्पी की तरह उत्कृष्ट कोटि का कठोर साधनामय संयमी जीवन जीने के मनोरथ उनके हृदयमें हैं।
जयंतिलालभाई की उत्कृष्ट आराधना की भूरिशः हार्दिक अनुमोदना।
पता : जयंतिलालभाई जयरामभाई वीराणी वीराणी ईलेक्ट्रीक वर्क्स दिग्विजय प्लोट नं. ५८, मु.पो. जामनगर (सौराष्ट्र) पिन : ३६१००५ फोन : ७७७३३ पी. पी.
२८ वर्ष की उम्रमें पत्नी के साथ ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार करके उपाश्रयमें ही भोजन एवं शयन
करनेवाले दरबार रामसंगभाई बनेसंगभाई लीबड़ __'संग वैसा रंग' इस उक्ति के अनुसार तथा प्रकार के मित्रोंकी संगत के कारण चाय-बीड़ी इत्यादि अनेक प्रकार के व्यसनों में फंसे हुए रामसंगभाई दरबार को आजसे करीब १९ साल पहले उनके पड़ोशमें रहनेवाले जैन मित्र श्री चंद्रकांतभाई लाड़कचंद शाहने व्याख्यान श्रवण के लिए प्रेरणा दी ।
उस समय वढवाण शहरमें संवेगी उपाश्रयमें परम शासन प्रभावक प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पू. आ.