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सादर समर्पण गुजराती एवं संस्कृत भाषामें प्रभु भक्तिमय सैंकडों स्तवनस्तुति चैत्यवंदन पूजाएँ इत्यादि भाववाही भक्ति साहित्य एवं संस्कृत में त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र, समरादित्य केवली चरित्र, श्रीपाल चरित्र, द्वादश पर्व कथा आदि ग्रंथों की रचना करनेवाले...!
मुंबई से समेतशिखरजी एवं समेतशिखर से पालिताना जैसे महान ऐतिहासिक छ'री' पालक संघों की प्रेरणा और निश्रा द्वारा प्रभु शासन की अद्भुत प्रभावना करनेवाले...!
७२ जिनालय महातीर्थ, २० जिनालय आदि अनेक जिनमंदिरों की प्रेरणा-अंजनशलाका-प्रतिष्ठा द्वारा लाखों भावुक आत्माओं को प्रभु के साथ प्रीति जोड़ने में सहायक आलंबन प्रदान करनेवाले....
विद्यापीठ द्वय, धार्मिक शिबिर, अनेक धार्मिक पाठशाला आदि की स्थापना द्वारा समाज में सम्यक् ज्ञान की अभिवृद्धि कराने वाले...!
मेरे जैसी अनेक आत्माओं को संसार पथ से संयम के पुनीत पथ पर प्रस्थान करानेवाले...
५० वर्ष तक एकाशन एवं ८ वर्षीतप आदि तपश्चर्या द्वारा | शिष्यों को भी तपोमय जीवन जीने की प्रेरणा देनेवाले...
तप-त्याग, तितिक्षा, क्षमा, समता, नम्रता, सहनशीलता, भद्रिकता, अप्रमत्तत्ता, सादगी इत्यादि अगणित गुणरत्नों के महासागर, सद्गुणानुरागी, यथार्थनामी... ___ अनंत उपकारी, भवोदधितारक, वात्सल्य वारिधि, शासन सम्राट, भारत दिवाकर, तपोनिधि, अचलगच्छाधिपति, प.पू. गुरुदेव, आचार्य भगवंत श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलों में आपकी ही दिव्य कृपा से सर्जित इस रत्नमाला को अर्पित करते हुए कृतज्ञताका अनुभव करता हूँ।
- गुरुगुण चरणरज - गणि महोदयसागर 'गुणबाल'