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wwwwx -प्रकाशकीय
हमारे श्री संघ के महान पुण्योदय से हमें वि. सं. २०५४-५५ में हमारे संघ के अनंत उपकारी शासन सम्राट अचलगच्छाधिपति, प.पू. आचार्य भगवंत श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य-प्रशिष्य आगमाभ्यासी प.पू. गणिवर्य श्री महोदयसागरजी म.सा. एवं तपस्वी पू. मुनिराज श्री अभ्युदयसागरजी म.सा. ठाणा - २ के चातुर्मास का महान लाभ मिला ।
इस चातुर्मास में पूज्य गणिवर्य श्री दैनिक एवं रविवारीय प्रवचन और दैनिक शिशु संस्कार शिबिर में प्राचीन दृष्टांतों के साथ साथ स्वयं द्वारा संपादित 'बहुरत्ना वसुंधरा' (गुजराती संस्करण) में से भी अनेक प्रेरणादायक दृष्टांत रोचक शैलिमें सुनाते थे, जिसे सुनकर श्रोताजन अत्यंत भाव विभोर हो जाते थे । फलत : तप-जप आदि अनेकविध आराधनाओं के साथ साथ पर्युषण में जीवदया का सवालाख रूपये का चंदा इकठ्ठा हुआ, जो पूज्य श्री की सूचना के अनुसार अनेक पांजरापोल आदि जीवदया की संस्थाओं में भेजा गया । यहाँ पर निर्मित नूतन उपाश्रय के लिए भी पूज्यश्री की प्रेरणा से दान की गंगा बही । क्षमापना के विषयमें पूज्यश्री का हृदयस्पर्शी प्रवचन सुनकर देरानी-जेठानीने सकल संघ के समक्ष परस्पर रक्षा पोटली बाँधकर एक दूसरे के चरण स्पर्श करके क्षमायाचना की और ४ वर्षों से हुए मनमुटाव का विसर्जन करके मैत्रीभावना का सर्जन किया, सचमुच वह दृश्य अभूतपूर्व था । ६४ प्रहरी श्रावकों में से २ युवक सहित ३ श्रावकों ने केशलोच करवाया ।
यह सब प्रभाव 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब में वर्णित आश्चर्यप्रद प्रेरक दृष्टांतों का था । इसलिए हमने इस किताब को हिन्दी में प्रकाशित करने की पुनः विज्ञप्ति की । इससे पूर्व भी चतुर्विध श्री संघ के अनेक सदस्यों की ऐसी विज्ञप्ति थी । अतः पूज्य गणिवर्यश्रीने अपना अमूल्य समय निकालकर शेषकाल में विहार के दौरान इस का हिन्दी अनुवाद स्वयं किया और हमारे श्री संघ को प्रकाशन का लाभ दिया इसके लिए हम पूज्यश्री के अत्यंत ऋणी हैं।
पूज्यश्री की प्रेरणा से जिन भाग्यशालियों ने इस प्रकाशन में आर्थिक सहयोग दिया है वे धन्यवाद के अधिकारी हैं। " श्री कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट" ने अपने द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के गुजराती संस्करण को हिन्दी में प्रकाशित करने की हमें भी उदारता से अनुमति दी एवं इस किताब की वितरण व्यवस्था का दायित्व संभाला अतः हम उपरोक्त ट्रस्ट के ट्रस्टी मंडल के अत्यंत आभारी हैं।
केवल २ महिनों में अति शीघ्रता से सुंदर मुद्रण करने के लिए कुमार प्रकाशन केन्द्र ( अहमदाबाद) के संचालक श्री हेतलभाई शाह आदि को हार्दिक धन्यवाद !
श्री बाड़मेर अचलगच्छ जैन संघ
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