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तस्वीर परिचय
(१) हजारों अबोल जीवों को कंसाइओं के क्रूर पंजे से छुड़ाकर, पांजरापोल में भिजवाकर बचानेवाले... और आखिरमें कसाइओं के हाथों से शहादत को संप्राप्त ' अहिंसा की देवी' गीताबेन बचुभाई रांभिया (बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २, दृष्टांत नं. १७४)
(२) 'अहिंसा की देवी' स्व. गीताबेन रांभिया के जीवदया के मिशन को आगे बढाते हुए, गीताबेन के जीवनसाथी श्री बचुभाई रांभिया (कच्छ - रामाणिआ / हाल अहमदाबाद ) ( बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २, दृष्टांत नं. १७४ )
(३) १०८ अठ्ठाई तप, १०८ अठ्ठम तप, २२९ छठ्ठ तप इत्यादि अनेकविध तपश्चर्या के महा तपस्वी सुश्राविका श्री कमलाबेन घेवरचंदजी कटारिया (खार - मुंबई ) ( बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २, दृष्टांत नं. १७१)
(४) १० सालमें ७५ हजार कि.मी. के प्रवास द्वारा भारतभर के जैन तीर्थों की पदयात्रा करनेवाले श्री रामदयालजी नेमिचंदजी जैन (भरतपुर - राजस्थान) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २, दृष्टांत नं. १०५ )
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