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तस्वीर परिचय
लगातार १८० उपवास (वि.सं. २०४९) में !... अठ्ठम के पारणेमें गेहूँ की अलूनी रोटी और गरम पानी से वर्षीतप !... प्रत्येक पारणेमें केवल एक ही दाने से आयंबिल द्वारा सिद्धितप !... सिद्धिवधूकंठाभरण तप (पारणों में एक दानेका आयंबिल ) !... ६८ उपवास, वर्धमान तपकी ३६ ओली... एक ही धान्यकी नवपदजी की ११ ओली... एक ही दानेसे नवपदजी की ९ ओली... उपवास के पारणेमें आयंबिल से वर्षीतप, चौविहार २१ एवं १५ उपवास !... निरंतर १७५ उपवास ! १२४ उपवास एक ही द्रव्य से ठाम चौविहार ५०० आयंबिल इत्यादि अनेक घोर वीर और दीप्त तप के देदीप्यमान तपस्वीरत्न सुश्राविका श्री विमलाबाई वीरचंद पारेख ( फलोदी राजस्थान - हाल मद्रास) ( बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २ दृष्टांत नं. १६४) का बहुमान अत्यंत भाव विभोर मुद्रामें करते हुए रत्नकुक्षी आदर्श श्राविका रत्न श्री पानबाई रायसी गाला ( कच्छ-चांगडाईवाला) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग - २ दृष्टांत नं. १७३) प्रस्तुत पुस्तक के संपादक के संसारी मातुश्री ! यह तस्वीर विमलाबाई के ९० वें उपवास दिन की है !!!...
अठ्ठम के पारणेमें अठ्ठम ( निरंतर अठ्ठम तप) करते हुने ७ बार छ'री' पालक संघों द्वारा तीर्थयात्रा करनेवाले...!
• दो बार मासक्षमण के २० दिन तक छ'री पालक संघोंमें पैदल चलकर तीर्थयात्रा करने वाले...!
१७० से अधिक अठ्ठाई तप एवं २८० से अधिक अठ्ठम तप करनेवाले २ बार श्रेणितप, २ बार सिद्धितप, १४ वर्षीतप, ४ बार १६ उपवास ५ बार १५ उपवास, ४ मासक्षमण, ४ बार समवरण तप... २ बार भद्र तप, बीस स्थानक तप, ३ उपधान, इत्यादि अनेक घोर-वीर एवं दीप्त तपके देदीप्यमान तपस्वीरत्न सुश्राविका श्री कंचनबेन गणेशमलजी लामगोता ( खीमाड़ा - राजस्थान हाल मुंबई ) ( भाग - २ दृष्टांत नं. १६५) का बहुमान करते हुए तपस्वी सुश्राविका श्री कस्तूरबेन कुंवरजीभाई
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• ( बाबुभाई ) गड़ा (कस्तूरबेन के नामसे ही प्रस्तुत पुस्तकके प्रकाशक श्री कस्तूर प्रकाशन ट्रस्टकी स्थापना हुई हैं) बहुमान के दिन निरंतर ६ महिनों से कंचनबेन के ८ उपवास चालु थे ।
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