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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ बाद वे कुली भी समझ गये कि यह बालक पदयात्रा ही करना चाहता है । तत्पश्चात् सब लोग बालक को आदर और सराहना की निगाह में देखने लगे । वे उसके लिए रास्ता छोड़ देते थे और उसके साहस, उसकी आश्चर्यजनक शक्ति और धीरज के लिए उसे आशीर्वाद देते थे ।
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चढ़ाई के मध्य में एक स्थान बहुत सीधी चढ़ाई का है और सभी यात्री 'हिंगलाज का हड़ा' नामक इस स्थान पर कुछ समय के लिए आराम करते हैं । मेरे भाई तथा परिवार के अन्य सदस्य आगे बढ़ने के पहले थोड़ा आराम करना चाहते थे । लेकिन वह बालक तो ऊपर पहुँचने के लिए उतावला था । उसने उन्हें क्षण-भर रुकने का भी मौका नहीं दिया और सीधा ऊपर ले गया । वे सब मेरे वहाँ पहुँचने से पन्द्रह मिनट पहले ही हाथीपोल पहुँच गये । मेरे भाई ने मुझसे कहा कि, 'इस बालक में आदीश्वर भगवान के दर्शन करने और पूजा करने की इच्छा इनती तीव्र है • कि यह सारे समय चलने के बजाय दौड़ता ही रहा है' ।
के पाँच स्थान और परिक्रमायें
पूजा
आम तौर पर यात्री पाँच स्थानों की पूजा करके और मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमायें देकर बादमें मूलनायक भगवान के दर्शन करते हैं । पूजा के स्थान ये हैं :
(१) शांतिनाथ का मंदिर
(२) नया आदीश्वर मंदिर
(३) आदीश्वर चरण - छतरी
(४) सीमंधर स्वामी का मंदिर
(५) पुंडरीक स्वामी का मंदिर
जब हम लोग क्रमशः इन स्थानों पर पूजा करने गये तो बालक ने कहा कि उसने पहले तीन मंदिरों में तो पूजा की थी, अन्तिम दो में नहीं की थी ।