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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ एक पुल के निर्माण कार्य में कुछ अनीति हुई है या नहीं उसकी जाँच करने के लिए उनको जाना था। - "इस पुल के निर्माण कार्य में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है" ऐसा प्रमाणपत्र लिखने के बदलेमें उनको बहुत बड़ी राशि मिलेगी ऐसी बात उनके भानेजेने पुल निर्माण से संबंधित व्यकित की और से अपने मामा को की।
- मामा की ३ सुपुत्रियाँ एवं २ सुपुत्र कोलेज-स्कूल में पढते थे । समाज में व्यवस्थित व्यवहार निभाने के लिए उनको रूपयों की बहुत जरूरत थी और सामने से बड़ी राशि मिलने की बात आयी थी मगर ये एन्जिनीयर कोई अलग ही मिट्टी से बने हुए थे । उन्होंने रूपये लेने की बात का स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट शब्दों मे प्रत्युत्तर दिया कि -"जाँच करने पर जो भी वस्तुस्थिति का पता चलेगा उसे स्पष्ट शब्दों में उपरी अधिकारी को बताउँगा । पैसा मेरी पवित्र फर्ज में बाधा नहीं डाल सकेगा ।"
- "लेकिन मामा ! इतनी बड़ी राशि सामने से मिलनी मुश्किल है, और इतनी राशि देनेवाला भी दूसरा कोई जल्दी नहीं मिलेगा ।" ..
"भानजे ! राशि देनेवाला तो मिल भी जाएगा लेकिन उसका अस्वीकार करनेवाला नहीं मिलेगा । रूपयों के खातिर मैं अपने प्रामाणिकता गुण को बेचना नहीं चाहता !!!" मामा ने बहुत स्पष्ट शब्दोंमें कह दिया ! इससे पहले भी उनको पालनपुर जिले में एन्जिनीयरींग का कार्य सौंपा गया था । झूठी उपस्थिति, झूठे नाप लिखने के द्वारा लाखों रूपयों की प्राप्ति हो सकती थी, ऐसे प्रसंगों में भी उन्होंने नीतिमत्ता गुण के द्वारा अपनी आत्मा को पवित्र रखी थी। प्रामाणिकता-नीतिमत्ता के परम आदर्शयुक्त इन सज्जन का शुभ नाम है शांतिलालभाई शिवलाल शाह । वे आज सेवा निवृत्त कार्यकारी एन्जिनीयर हैं । आदर्श श्रावक जीवन द्वारा वे अपना मनुष्य जन्म सफल बना रहे हैं।
शांतिलालमा की प्रामाणिकता की भूरिशः हार्दिक अनुमोदना ।
शंखेश्वर तीर्थमें आगाज अनुमोदना समारोह में शांतिलालभाई भी पधारे थे । उनकी तस्र के लिए देखिए पेज नं. 19 के सामने । बहुरत्ना वसुंधरा - २-20