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तस्वीर परिचय (१-२) एक ही वर्षमें श्री शत्रुजय-गिरनारजी एवं समेतशिखरजी की ९९
यात्रा करनेवाले, १०८ अठुम, श्रेणितप, सिद्धितप, १९ बार ९९ यात्रा अठ्ठम के साथ ९९ यात्रा आदिके विशिष्ट आराधक दंपती श्रीमती बचुबेन एवं टोकरशीभाई (कच्छ लायजा, हाल गोरेगाँव - मुंबई)
(बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. ११२) (३) बिना पैसे एवं बिना दवाई, हड्डी आदिके हजारों दर्दीओं के असाध्य एवं
दुःसाध्य दर्दो को दूर करनेवाले रतिलालभाई पनपारिया (कच्छ-नाग्रेचा, ___ हाल बडौदा-गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १००) (४) श्री ऋषिमंडल स्तोत्रको सिद्ध करनेवाले विशिष्ट साधक श्री
कांतिलालभाई के. संघवी (सुरेन्द्रनगर-गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा
भाग-२, दृष्टांत नं. ९८) (५) ११ करोड़ नवकार महामंत्र के आराधक श्री प्राणलालभाई लवजी
शाह (धांगध्रा - सौराष्ट्र) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. ९७)
(१) वर्धमान तपकी १४७ ओलि के तपस्वी बचपन से प्रज्ञाचक्षु होते हुओ भी नित्य
जिनपूजाकारी, ६ कर्मग्रंथ सार्थके अध्यापक पंडितवर्य श्री मोतीलालभाई | ___(समी - उ.गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १२३) (२) श्री शत्रुजय महातीर्थ की ४ बार ९९ यात्रा करनेवाले सुश्रावक श्री
रतिलालभाई सेठ (पालिताना (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १०६) (३) युवान डोक्टर होते हुए भी बेलगाम जिले में आराधनामें प्रथम नंबर
डॉ. अजितभाई दीवाणी (निपाणी - कर्णाटक) (बहुरत्ना वसुंधरा
भाग-२, दृष्टांत नं. १४०) (४) प्रतिवर्ष सेंकडो बकरों की सामूहिक बलिकी कु प्रथा को बंध
करानेवाले जीवदयाप्रेमी स्व. सुश्रावक श्री सुमतिभाई राजाराम शाह के सुपुत्र सुरेशभाई (निपाणी-कर्णाटक) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२,
दृष्टांत नं. १३१) (५) १० वर्ष की बाल्यावस्था से लेकर आज ३८ सालकी उम्र तक
लगातार प्रति पर्युषणमें अठाई तप करनेवाले युवाश्रावक (किरणभाई वेरसी गडा (कच्छ-चीआसर, हाल वडाला मुंबई (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १२५)