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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग
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से ही उन्होंने इस पदयात्रा का प्रारंभ किया था ।
नवकार महामंत्र द्वारा उन्होंने मध्यप्रदेश के हटा एवं मंडोवर नाम के गाँवो में और अहारजी जैन सिद्धक्षेत्र में अनेक लोगों को भूत-प्रेत की बाधा से और पथरी, पक्षाधात आदि रोगों से मुक्त किया था ।
गुजरात में बड़ौदा में एक केन्सर पीड़ित बच्चे को उन्होंने नवकार महामंत्र के द्वारा रोगमुक्त किया था । प्रांतीज में एक व्यक्ति को बिच्छूने काटा था, उसका जहर भी नवकार महामंत्र के द्वारा उतारा था । पंचमहाल जिले के गोधरा गाँव में ८ मुसलमानों को प्रतिज्ञा देकर माँसाहार का त्याग करवाया था ।
नवकार महामंत्र का स्मरण करके वे भोमियाजी देव की स्तुति के रूप में एक संस्कृत श्लोक बोलते हैं, तब तुरंत उनके शरीर में भोमियाजी देव का प्रवेश होता है जो उनकी विविध चेष्टाओं के द्वारा हम समझ सकते हैं । बाद में जो भी प्रश्न उनसे पूछे जाते हैं उनके प्रत्युत्तर भोमियाजी देव अपने अवधिज्ञान की मर्यादा के मुताबिक देते हैं । यह घटना हमने प्रत्यक्ष रूपसे देखी है ।
रामदयालभाई के परिवार में उनकी धर्मपत्नी उर्मिलाबहन स्कूलमें शिक्षिका हैं । ३ बेटियाँ एवं १ बेटा मिलकर ४ संतान हैं । कपड़े का व्यवसाय करते थे और मेलेरिया विभाग में १६ साल तक इन्स्पेटकर के रूपमें काम करने के बाद उन्होनें इस्तीफा दे दिया । ३ भाईयों की मिलकर १८० बीघा जमीन है 1
रामदयालभाई ने पदयात्रा का संकल्प जाहिर किया तब प्रारंभ में उनकी धर्मपत्नी ने विरोध किया था मगर बादमें समझाने से वे संमत हो गयी थीं ।
पदयात्रा की पूर्णाहुति कश्मीर में होनेवाली थी । "कश्मीर में शांति की स्थापना हो ऐसी भावना से पदयात्रा करते हुए अगर कश्मीर की धरती पर मेरा खून भी हो जायेगा तो उसे मैं अपना सद्भाग्य समझँगा" ऐसे उद्गार उन्होंने व्यक्त किये थे ।