SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८४ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ अंतमें सभी यात्रिकों का दूध-पानी से चरण प्रक्षालन बहुमान. पूर्वक करके संघपति परिवार के सदस्यों ने उस चरणामृत का आचमन किया तब उनकी विनम्रता देखकर दर्शकोंकी आंखें अहोभाव से अश्रभीगी हो गयीं थीं।... इस ९९ यात्रा के करीब ५ वर्ष बादमें उन्होंने समस्त कच्छ जिले में से, ८० सालसे बड़ी उम्र होते हुए भी जिन्होंने श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ की यात्रा नहीं की हो ऐसे सैंकड़ों साधर्मिकों को बसों के द्वारा पालिताना और उसकी पंचतीर्थी की यात्रा करवाने का महान लाभ लिया था । वि. सं. २०३३ में कच्छ केसरी, तीर्थ प्रभावक अचलगच्छाधिपति, प.पू.आ.भ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. की तारक निश्रामें कच्छ-गोधरासे पालिताना का ४५ दिनका छ:'री'पालक भव्यसंघ निकला था, उसमें तीन संघपतियों में से एक संघपति के रूपमें संघवी श्री शामजीभाई ने भी अनुमोदनीय लाभ लिया था। अपनी जन्मभूमि कच्छ-मोटा आसंबीआ गाँवमें अपने परमोपकारी, योगनिष्ठा विदुषी पू.सा.श्री. गुणोदयाश्रीजी म.सा. कि निश्रामें कुल २७ साध्वीजी भगवंतों का चातुर्मास करवाने का महान लाभ भी उन्होंने वि.सं. २०२४ में लिया था । उस वक्त अन्य संघाटक के साध्वीजी भगवंत भी पू.सा. श्री गुणोदयाश्रीजी म.सा. की निश्रा में संयम जीवन की तालीम लेने के लिए चातुर्मास रहे थे। वि.सं. २०२६ से पाँच साल तक पू.सा. श्री गुणोदयाश्रीजी म.सा. की निश्रामें साध्वीजी भगवंतों को एवं मुमुक्षुओं को संस्कृत व्याकरण, न्याय एवं षट् दर्शन आदि के अध्ययन करवाने के लिए बिहार के पंडित शिरोमणि श्री हरिनारायण मिश्र (व्याकरण-न्याय-वेदांताचार्य) को वे कच्छमें लाये थे और ५ वर्ष तक उनके वेतन आदिका लाभ भी उन्होंने मुख्य रूपसे लिया था । उस वक्त मुझे भी उपरोक्त पंडितजी के पास ५ साल पर्यंत व्याकरण-न्याय-षट्दर्शन आदि के अध्ययन का महान सौभाग्य संप्राप्त हुआ था ।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy