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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ १७१ शारीरिक शक्ति क्षीण होने से साधना दुष्कर हो जाती है । फिर इसमें अपवाद के रूपमें कुछ साधक ऐसे भी पाये जाते हैं जिन्होंने संयोगवशात् जीवन की उत्तरावस्थामें साधना का प्रारंभ किया हो और तीव्र वैराग्य, प्रबल मुमुक्षा और निरंतर अखंड पुरुषार्थ के बलसे अनुमोदनीय आध्यात्मिक विकास हांसिल किया हो । ऐसे साधकों में कच्छ - नाराणपुर गाँव के निवासी सुश्रावक श्री खीमजीभाई वालजी वोरा ( हाल उम्र व. ८१) का नाम प्रथम पंक्तिमें रखा जा सकता है । खीमजीभाई के जीवनमें बाल्यावस्थामें नम्रता, सरलता, आदि सद्गुणों के साथ धर्म के प्रति अभिरुचि भी थी । पाँच प्रतिक्रमण, चार प्रकरण, कर्मग्रंथ, संस्कृत दो किताब तक अध्ययन उन्होंने किया था । लेकिन बादमें सांसारिक जिम्मेदारियों के कारण से एवं रंगून जैसे क्षेत्र में कई वर्षों तक रहने के कारणसे धार्मिक रुचिको बिल्कुल प्रोत्साहन नहीं मिल सका । दाम्पत्य जीवन एवं नौकरी- व्यवसाय में ही जीवन के अमूल्य वर्ष व्यतीत हो गये । खास कुछ भी आराधना नहीं हो पायी । (हाँ नौकरी में वे अत्यंत प्रामाणिकता से बर्तते थे जिससे उन्होंने परिचय में आनेवाले अनेक आत्माओं के हृदयमें खूब अच्छा स्थान जमाया था।) किन्तु करीब ५७ साल की उम्र में उनके जीवनमें परिवर्तन का निमित्त मिला । किसी व्यावहारिक प्रसंग के कारण उनको संसार की असारता और स्वार्थमयता का बोध हुआ । वैराग्य की ज्योत प्रज्वलित हुई और ६० वर्ष की उम्रमें नौकरीमें से इस्तीफा देकर मुंबई छोड़कर कच्छ - नाराणपुरामें आ गये । सुसुप्त आध्यात्मिक रुचि पुनः जाग्रत हुई । फलतः उन्होंने आध्यात्मिक ग्रंथों का वांचन- मनन, एकांतवास, मौन, नवकार महामंत्र का एवं ॐ ह्रीं अर्हं नमः मंत्रका लयबद्ध रूपसे जप एवं श्री सीमंधर स्वामी भगवान की आर्द्र हृदयसे प्रतिदिन प्रार्थना को उन्होंने साधना के अंग बनाये । हररोज प्रातः कालमें ढाई घंटे तक खेतमें जाकर और रात को भी वहाँ एकांतमें नवकार महामंत्र का एकाग्रता पूर्वक जप करने लगे । एकाध बार कच्छ-डुमरा गाँवमें आयोजित ध्यान शिबिरमें जाकर ध्यानाभ्यास भी चालु रखा । योगीराज श्री आनंदघनजी द्वारा विरचित स्तवन चौबीसी विषयक साहित्य एवं
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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