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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - पढम होइ मंगलं लंगमं इहो मंढप मंगलाणं च सव्वेसिं सिंव्वेस च णंलागमं सव्वपावप्पणासणो : णोसणाप्पवपाव्वस एसो पंचनमुक्कारो रोक्कामुनचपं सोए नमो लोए सव्वसाहूणं णंहूसाव्वस एलो मोन नमो उवज्झायाणं णंयाज्झावउ मोन नमो आयरियाणं णंयारियआ मोन नमो सिद्धाणं णंद्धासि मोन नमो अरिहंताणं णताहरिअ मोन पश्चानुपूर्वी जाप में नौ या प्रथम पांच पदों का जाप भी किया जाता है। (5) अनानुपूर्वी नवकार जाप : नवकार के नौ पदों को पहले से क्रमसर बोला जाये उसे पूर्वानुपूर्वी कहा जाता है। अन्तिम पद से प्रारंभ करके क्रमशः बोला जाये तो पश्चानुपूर्वी कहा जाता है। परन्तु बिना क्रम बोला जाए उसे अनानुपूर्वी कहा जाता है। उसके लिए एक छोटी सी पुस्तिका आती है, उसमें प्रत्येक पृष्ठ पर 9 अंक अलग-अलग रूप से व्यवस्थित लिखे गये हैं। उदाहरण:- '7' लिखा हुआ हो तो सातवां पद "सळ्यावप्पणासणो" बोलना, "3" लिखा हुआ हो वहां तीसरा पद "नमो आयरियाणं' बोलना। चित्त की चंचलता को भगाने के लिए यह भी सरल तथा सचोट उपाय है। अधिकांश तो इस हेतु की किताब को "आनुपूर्वी" कहते हैं, परन्तु यह अशुद्ध है। सही शब्द "अनानुपूर्वी' है। (6) कमलबद्ध नवकार जाप : मन्दिर में नवपदजी का गठ्ठा होता है उस प्रकार का अथवा नीचे की आकृति में दर्शाये अनुसार आठ पंखुड़ियां तथा मध्य में कर्णिका युक्त कमल की कल्पना कर उसमें नवकार के पद स्थापित करके प्रथम खुली आंखों से चित्र देखकर, उसके बाद बन्द आंखों से हदय के आसपास के प्रदेश में कमल की कल्पना करके नवकार का जाप करने से भी चित्त की चंचलता कम होती है। 418
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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