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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? पुलाक, बकुश, कुशल वगैरह अनेक प्रकार होते हैं। उन सबका समावेश करने हेतु स्पष्ट रूप से "सव्व" शब्द को रखा गया है।
सिंह जैसे चलते-चलते थोड़ी-थोड़ी देर में पीछे देखता जाए, वैसे सिंहावलोकन न्याय से पांचवे पद में रहे 'सव्व" शब्द का संबंध आगे के अरिहंत आदि 4 पदों में समझ लेना चाहिये। "सव्व" का सार्व भी अर्थ होता है। सभी जीवों के लिए हितकारी हों, वे सार्व (तीर्थकर परमात्मा) कहलाते हैं। उनकी आज्ञा में समर्पित हों वह भी सार्व कहलाते हैं। अर्थात् तीर्थकर की आज्ञा को वफादार ऐसे साधु -साध्वीजियों को नमस्कार करने के लिए भी "सव्व" शब्द रखा गया है।
श्री नमस्कार महामंत्र के जाप के बारे में जरुरी जानकारी
किसी भी क्रिया का सम्पूर्ण फल प्राप्त करना हो तो विधिपूर्वक आराधना जरूरी है। किसान यदि विधिपूर्वक बोने आदि की क्रिया करता है, तो ही धान्य रूपी फल को प्राप्त कर सकता है, उसी प्रकार नमस्कार महामंत्र के जाप की विधि संक्षिप्त रूप से समझनी जरूरी है, इसलिए नीचे लिखी हुई बातों को ध्यानपूर्वक पढ़कर अमल में लाने का प्रयत्न करना हितावह है। नवकार महामंत्र का स्मरण किसलिए?
जैसे दवा से रोग शान्त होता है, भोजन से भूख शान्त होती है, उसी प्रकार नवकार के जाप से भी आंतरिक एवं बाह्य अशान्ति दूर होती ही है। अपना अनुभव इस बात का साक्षी नहीं देता, इसका कारण अपनी अज्ञानदशा है।
हम जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसाने वाले कर्म रूपी रोग को पहचान ही नहीं सके हैं। इसलिए सही उपाय काम में नहीं ला सकते हैं। जीवन में पंचपरमेष्ठियों की सच्ची पहचान कर उनकी शरण में वृत्तियों को रखकर, प्रवृत्तियों को शान्ति की दिशा में मोड़ने हेतु नमस्कार महामंत्र का स्मरण करना जरूरी है। नवकार मंत्र की माला किस प्रकार गिननी चाहिये?
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