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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मोक्ष में जा रहे हैं, वे सभी भी नवकार के ही प्रभाव से गये हैं.
ऐसा जान लो। 18. नवकार के प्रभाव से डाकिनी, वेताल, राक्षस और मारि वगैरह का
भय कुछ भी नहीं कर सकता है एवं सभी पापों का नाश होता है। 19. श्री जिन-नवकार के प्रभाव से व्याधि, जल, अग्नि, चोर, सिंह,
हाथी, संग्राम सर्प आदि का भय उसी समय समाप्त होता है। 20. यह नवकार सुर, सिद्ध, खेचर वगैरह द्वारा पढ़ा जाता है। जो कोई
इसे भक्तिभाव से पढ़ता है, वह परम निर्वाण को प्राप्त करता है। 21. जंगल, पर्वत एवं अरण्य के मध्य में स्मरण करने से यह नवकार
भय का नाश करता है और माता जिस तरह पुत्र-पौत्रों, दोहितों का
रक्षण करती है, वैसे सैंकड़ों भव्यों का रक्षण करता है। 22. पंच नवकार के चिंतन मात्र से ही जल एवं अग्नि स्तंभित हो जाते
हैं और अरि, मारि, चोर तथा राजाओं के घोर उपसर्गों का नाश
होता है। 23. जिनके हदय रूपी गुफा में नवकार रूपी केसरीसिंह हमेशा रहता है,
उनके आठ कर्म की गांठ रूपी हाथी का समूह समस्त प्रकार से
नष्ट होता है। 24. जो पंच नमस्कार रूपी सारथी को नियुक्त कर, ज्ञान रूपी घोड़े को
जोड़कर, तप संयम एवं दान रूपी रथ में विराजित होता है, वह
परम निर्वाण को प्राप्त करता है। 25. जो जिनशासन का सार है, चौदह पूर्व का सम्यग् उद्धार है, वह __ नवकार जिसके मन में स्थिर है, उसको संसार क्या कर सकता है?
अर्थात् कुछ भी करने में समर्थ नहीं है। | नवकार महिमा गर्भित 'श्री उपदेश तरंगिणी श्लोकार्थ | 1. रात्रि के अन्तिम प्रहर के आधे भाग में निद्रा त्यागकर, दुष्ट कर्म __रूपी राक्षस का दमन करने के लिए अद्वितीय चतुर ऐसे श्री
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