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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? अच्छे अंक आने के बावजूद कॉलेज में प्रथम दिन प्रवेश नहीं मिलता और पहले ही दिन सीटें भर जातीं तो? किन्तु मुझे श्रद्धा के साथ कहना पड़ेगा कि महामंत्र नवकार के कारण मेरा यह संकट टल गया।
इसलिए ही अमरेन्द्रविजयजी महाराज अपने पुस्तक "अचिंत्य चिंतामणी नवकार" में लिखते हैं कि "नवकार ऐसा चिंतामणि है कि बिना सोचे भी आराधक को पता भी नहीं चले कि उसका हित किसमें है. तो भी अपने आराधक का जीवन मंगलमय बनाता है' अर्थात् वह अचिंत्य चिन्तामणि है।
अन्त में श्री शान्तिलाल शाह की "श्रीपाल-मयणा" नाम की | गुजराती कथागीत कैसेट के एक गीत के पद के साथ विराम लेता हूँ।
'नवपद नो महिमा न्यारो, एने गातां नावे आरो।' लेखक : श्री अरुणकुमार नरभेराम संघवी, घाटकोपर-मुंबई
|सकल विघ्नहर्ता नवकार
आज मेरी उम्र 70 वर्ष हुई है। मैं पिछले 10 वर्षों से प्रतिदिन सवेरे |साढे पांच बजे उठकर नियमित कम से कम 108 नवकार मंत्र का स्मरण करता हूँ। मुझे इससे प्रतिदिन बहत फायदा होता है। दिन भर कोई मुश्किल नहीं आती है। पूरा दिन आनंदमय बीतता है। मैं कुछ भी तनाव जैसा लगे तो नवकार मंत्र का स्मरण करता हूँ और तुरन्त ही अलौकिक शान्ति मिलती है। सन् 1970 में आचार्य महाराज श्री मित्रानन्दसूरिजी ने मुझे विशेष कहा था कि दूसरा कुछ नहीं हो सके तो भी प्रतिदिन सवेरे उठते समय 21 नवकार का स्मरण करना चाहिये और तब से मैं उस अनुसार कर रहा हूँ। इससे मेरी मुश्किलों का अन्त आया है। यहाँ मेरे जीवन में घटी घटनाएं दर्शाता हूँ।
सन् 1968 से 1975 तक हमारी एक श्रीमंत सज्जन परिवार के साथ भागीदारी थी। हमारा व्यवसाय अभ्यास पुस्तिकाओं का निर्माण करना
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