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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? (4) पलंग पर लटकता सांप:- मुझे सरकारी अधिकारी के रूप में सन् 1956-57 के समय में प्रख्यात जैन तीर्थ शंखेश्वर के पास के गांव में जमीन के काम के कारण रात रुकना पड़ा। उस समय पंचायत के | भवन नहीं बने थे। उससे एक भाई के घर में मुझे रात्रि विश्राम करना पड़ा। अंधेरा भी ठीक-ठीक था। लालटेन के मामुली प्रकाश के अलावा दूसरा कोई प्रकाश नहीं था। मैंने नींद नहीं आने के कारण यह लालटेन भी बुझा दी और सारी रात मस्ती में सो गया।
मैंने प्रातः होने के पहले मामुली प्रकाश में अपने पलंग के ऊपर नजर डाली, तो देखा कि बराबर मेरे पलंग के ऊपर आये छपरे के विभाग में दो सांप उलटे मुंह लटक कर झगड़ रहे हैं। यह दृश्य देखते ही में डर से कांप उठा। पंलग से जल्दी भागकर दूर खड़ा हो गया।
कैसा खतरनाक खेल थामेरे पंलग से ठीक सात-आठ फीट ऊपर | दो बड़े सांप लड़ रहे थे या मस्ती कर रहे थे! यदि रात के अंधेरे में लड़ते लड़ते मेरे बिस्तर पर गिरे होते तो मेरे क्या हालात होते? इस विचार से ही कंपकंपी छुट जाती है। भले ही सिर पर सांप लटकते थे, शायद पूरी रात भी लटकते होंगे, किन्तु मेरे 21 नवकार गिनकर सोने की आदत ने मेरा रक्षण किया होगा, यह निःसंदेह है।
(5) बाघ के मार्ग में :- पांचवी एवं अन्तिम घटना प्रख्यात जैन तीर्थ तारंगाजी के पर्वत और शेमोर डुंगर के बीच आये शेमोर नाम के गांव के पास में घटी। यह गांव महेसाणा जिले के खेरालु तहसील में आया हुआ है। उस गांव की पूर्व दिशा में तारंगाजी के प्रख्यात पर्वत का पिछला भाग आता है। यात्रालुओं के लिए उससे विपरीत दिशा में ढलान वाला मार्ग है। जबकि इस ओर चढ़ने के लिए कोई मार्ग नहीं और सीधी चढ़ाई है।
तारंगा के पर्वत के पीछे के भाग में 3-4 कि.मी. दूरी पर यह शेमोर नाम का गांव है। इस गांव की सहज दक्षिण दिशा में शेमोर का पर्वत है। | मुझे सरकारी नौकरी के दौरान जमीन के कार्य के लिए इस गांव में |
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