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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - हदय का ऑपरेशन करवाया। किन्तु ऑपरेशन नाकामयाब हुआ। डॉक्टरों ने उसे "क्लीनीकली डेड' मरा हुआ घोषित किया। वहाँ के रिवाज के अनुसार यदि ऑपरेशन सफल हो तो डॉक्टर रोगी के परिवार जनों को खुशखबरी देते हैं, किन्तु ऑपरेशन निष्फल रहे तो पीछे के दरवाजे से चले जाते हैं। इस अनुसारं डॉक्टर कागज पर उसे मृत घोषित कर पीछे के दरवाजे से चले गये। दो घंटे व्यतीत हो गये। परिवार जनों के श्वास ऊपर आ गये। भाई डॉक्टर घबरा गये। किसी को कोई जबाब नहीं दे सकते थे। उतने में अचानक चमत्कार हुआ। वह रोगी भाई एकदम जगकर बेठ गये। सभी को बहुत आश्चर्य हुआ।
आसपास इकट्ठे हुए लोगों को देखकर उन्होंने पूछा कि, "तुम सभी किसलिए इकट्ठे हुए हो?" तब किसी ने उन्हें वस्तुस्थिति से वाकिफ किया कि- "तुम्हारा हार्ट का ऑपरेशन फेल होने से डॉक्टरों ने तुम्हें मृत घोषित किया था और तुम जीवित किस प्रकार हो?"
तभी रोगी ने खुलासा करते हुए कहा कि -"मैं तो केवल गुरु |महाराज से मिलने भारत गया था।"
इनके गुरु महाराज अर्थात् दूसरे कोई नहीं, परन्तु कलिकाल में नवकार महामंत्र के अजोड़ साधक-प्रभावक, अजातशत्रु, अध्यात्मयोगी प.पूपंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी म.सा., कि जिन्होंने मेरे जैसे अनेक आत्माओं पर अन्त उपकार किया है, जिसका किसी प्रकार के शब्दों में वर्णन करना असम्भव ही है।
इन रोगी को उनके पास से नवकार किस प्रकार मिला वह हम देखें। मेरे विदेश प्रवास के दौरान, नवकार महामंत्र के बारे में मेरे वार्तालाप से प्रभावित होकर वह भाई लन्दन में मेरे परिचय में आये, तब उस भाई को मैंने गुरु मुख से नवकार ग्रहण करने की प्रेरणा दी। उससे इस भाई को पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी म.सा. के पास से नवकार ग्रहण करने की भावना हुई, और खास नवकार लेने के लिए ही लन्दन से विमान द्वारा भारत आये। गुरु मुख से नवकार ग्रहण करने के बाद ही अन्न-जल लेने का उन्होंने अत्यन्त अनुमोदनीय संकल्प किया।
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