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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? युवक बने हैं, वे कभी जयरामभाई से मिलते हैं तब यह घटना याद किये बिना नहीं रहते। तब उनकी आंखों में चमकता आदर का भाव जयरामभाई को गद्गद बना देता है। इससे नवकार मंत्र में इनकी श्रद्धा अधिक और अधिक दृढ़ बनती है।
"संदेश" साप्ताहिक में से।
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चिन्ता चूरक श्रीनवकार __ अचलगच्छाधिपति प.पू आचार्य भगवन्त श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में शिखरजी से सिद्धाचलजी महातीर्थ के छः'री' पालक संघ में दिनांक 11.3.85 चैत्र वदि पंचमी सोमवार को नित्य नियम अनुसार सुबह आबु जी पहाड़ पर चढ़ना प्रारम्भ किया। हम पहाड़ पर आबु देलवाड़ा और अचलगढ़ दर्शन कर आये। आबु से उसमें नये यात्रिक भी इसी संघ में जुड़ने वाले थे। जिसमें मेरे पिताजी और छोटी बच्ची सोनल (5 वर्ष) आये थे। ऊपर सभी मिले तब तो आनन्द हुआ, परन्तु दूसरे दिन 12.3.85 को वापिस तलेटी मुकाम होने से जल्दी नीचे उतर जाना था।
दिन की नित्य आराधना पूर्ण होने के बाद शाम को प्रतिक्रमण के पश्चात् नवकार मंत्र गिनकर सोने की तैयारी हो रही थी। परन्तु मेरे मन में एक बात ऐसी सता रही थी कि न किसी से कही जा सकती, न सही जा सकती। क्योंकि पिताजी की नजर एकदम कम थी। मुझे इतनी चिन्ता होती थी कि इतनी जल्दी प्रातःकाल में पिताजी का हाथ पकडूंगी या बच्ची को उठाकर चलुंगी? कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मुझे चिन्ता में सारी रात नींद नहीं आयी। मैंने पूरी रात नवकार मंत्र का ध्यान किया। मेरी चिन्ता परमेष्ठी भगवन्तों को सौंप दी। मन में तय किया कि, नवकार मेरी रक्षा करेगा। ___वास्तव में नवकार मंत्र से एक घटना बनी। सुबह का प्रतिक्रमण किया। वहीं माईक में सार्वजनिक सूचना सुनी कि, 'किसी को जल्दी
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